प्रमुख स्वामी एक दुर्लभ भक्त और दयालु संत थे : भद्रेश दास मुखोपाध्याय
अहमदाबाद, 23 मार्च (आईएएनएस)। गुजरात स्थित अहमदाबाद में साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में रविवार को विश्वविख्यात संत पूज्य स्वामी महाराज के जीवन पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया गया।
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के साथ बातचीत के दौरान पुस्तक के लेखक भद्रेश दास मुखोपाध्याय ने प्रमुख स्वामी को दयालु संत बताया। उन्होंने कहा कि किसी भी भावना या भाव को शब्दों में व्यक्त करना हमेशा कठिन होता है। प्रमुख स्वामी एक दुर्लभ, भक्त और दयालु संत थे, और उनकी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करना एक चुनौती थी। हां हम उसे समझ सकते थे। जैसे की माता की ममता को समझ सकते हैं। वह समाज सेवा समाज के संत थे। छोटे-छोटे गांव में घूमते थे। उनका विराट व्यक्तित्तव था। उनके बारे में लिखना उन्हें याद करने जैसा था। इस किताब में करीब 212 पन्ने हैं।
बता दें कि यह पुस्तक प्रमुख स्वामी महाराज के जीवन के विभिन्न पहलुओं तथा भारतीय संस्कृति के वैश्विक उत्थान के लिए उनके द्वारा चलाए गए सामाजिक एवं आध्यात्मिक अभियानों को सहजता से प्रस्तुत करती है। पुस्तक के लेखक महामहोपाध्याय स्वामी भद्रेशदासजी ने स्वामी महाराज के जीवन के आदर्शों और कार्यों को सरल और स्पष्ट तरीके से प्रस्तुत किया है।
यह पुस्तक न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की गहरी समझ और विश्व भर में इसके प्रभाव को भी दर्शाती है। इस अवसर पर संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष भयेश झा (पूर्व आईएएस), प्रख्यात साहित्यकार रघुवीरभाई चौधरी, और कई विश्वविद्यालयों के कुलपति और तथा साहित्य अकादमी और बीएपीएस के वरिष्ठ सदस्य उपस्थित रहे।
--आईएएनएस
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