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बेंगलुरु में आज से लागू हुआ कचरा प्रबंधन शुल्क, लोगों के बीच पारदर्शिता और प्रभावशीलता को लेकर छिड़ी बहस

देश के प्रमुख महानगरों में से एक, बेंगलुरु, अपनी स्वच्छता व्यवस्था को मजबूत करने के लिए 1 अप्रैल से एक नया "कचरा उपयोगकर्ता शुल्क" लागू कर रहा है। यह शुल्क संपत्ति कर के साथ जोड़ा जाएगा और इसका उद्देश्य घर-घर कचरा संग्रहण और निपटान प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाना है। हालाँकि, इस नए शुल्क ने नागरिकों के बीच चिंता और बहस को जन्म दिया है।

क्या है नया कचरा उपयोगकर्ता शुल्क?

बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) द्वारा लागू किए गए इस नए शुल्क को कर्नाटक सरकार की मंजूरी मिली है। यह योजना नवंबर 2023 में बेंगलुरु सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड (BSWML) द्वारा प्रस्तावित की गई थी, जिसे शहरी विकास विभाग ने स्वीकृति दी थी।

इस शुल्क से सरकार को प्रति वर्ष 600 करोड़ रुपये से अधिक राजस्व मिलने की संभावना है, जिसे शहर की कचरा प्रबंधन सुविधाओं को उन्नत करने में लगाया जाएगा। शुल्क का निर्धारण संपत्ति के आकार के आधार पर किया गया है, जिसमें छोटे मकानों से कम शुल्क और बड़े संपत्तियों से अधिक शुल्क वसूला जाएगा।

संपत्ति का आकार (वर्ग फीट में) मासिक शुल्क (रुपये में)
600 वर्ग फीट से कम ₹10
600 से 1,000 वर्ग फीट ₹30
1,000 से 2,000 वर्ग फीट ₹50
2,000 से 3,000 वर्ग फीट ₹100
3,000 से 4,000 वर्ग फीट ₹200
4,000 वर्ग फीट से अधिक ₹400

बड़े कचरा उत्पादकों पर अतिरिक्त भार

व्यावसायिक संपत्तियों और बड़ी हाउसिंग सोसायटी को इस शुल्क के तहत और अधिक भुगतान करना होगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई बड़ी हाउसिंग सोसाइटी या कॉर्पोरेट कार्यालय कचरे को सीधे अनुमोदित एजेंसियों को नहीं भेजता, तो उन्हें ₹12 प्रति किलोग्राम की दर से शुल्क देना होगा। यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि अधिक मात्रा में कचरा उत्पन्न करने वाले संस्थान अपने अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर अधिक जिम्मेदार बनें।

नागरिकों की प्रतिक्रिया: "हम साफ़ बेंगलुरु चाहते हैं, अधिक कर नहीं"

इस नए शुल्क ने बेंगलुरु के निवासियों के बीच चिंता पैदा कर दी है। नागरिकों का कहना है कि वे कर चुकाने को तैयार हैं, लेकिन बदले में उन्हें परिणाम भी देखने चाहिए।

स्थानीय निवासी राजेश कुमार ने कहा, "मैं यह कर चुकाने को तैयार हूं, लेकिन मुझे एक स्वच्छ और व्यवस्थित बेंगलुरु चाहिए। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस कर का सही उपयोग हो, अन्यथा जनता इसका विरोध करेगी।"

एक अन्य निवासी स्नेहा वर्मा ने कहा, "सरकार पहले से ही संपत्ति कर और अन्य शुल्क वसूलती है। हमें यह भरोसा कैसे हो कि यह नया शुल्क सच में सफाई व्यवस्था को सुधारने में इस्तेमाल किया जाएगा?"

क्या यह शुल्क पारदर्शी होगा?

बेंगलुरु में पहले से ही ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (SWM) उपकर लगाया जाता है, लेकिन नागरिकों को शिकायत है कि उसकी पारदर्शिता पर सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में नया शुल्क भी संदेह के घेरे में आ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सरकार इस राजस्व का शत-प्रतिशत उपयोग सही स्थानों पर करती है, तो यह कदम शहर को स्वच्छ बनाने में मददगार साबित हो सकता है। हालाँकि, प्रशासन पर जवाबदेही सुनिश्चित करने का दबाव भी बढ़ गया है।

सरकार का पक्ष

सरकार का कहना है कि यह नया शुल्क स्वच्छ भारत मिशन और बेंगलुरु के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को आधुनिक बनाने के प्रयासों का हिस्सा है। अधिकारियों के अनुसार, इस राशि का उपयोग कचरा संग्रहण प्रणाली को मजबूत करने, रिसाइकलिंग सुविधाओं को अपग्रेड करने और अवैध डंपिंग को रोकने के लिए किया जाएगा। बेंगलुरु सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड (BSWML) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "यह शुल्क पारदर्शी तरीके से लागू किया जाएगा और नागरिकों को इसकी नियमित रिपोर्ट दी जाएगी। हमारा लक्ष्य कचरा प्रबंधन में सुधार करना है, न कि जनता पर अनावश्यक कर लगाना।"

क्या होगा आगे?

हालांकि सरकार ने इस शुल्क को जरूरी बताया है, लेकिन इसका सही कार्यान्वयन ही जनता की प्रतिक्रिया तय करेगा। अगर यह योजना सफल रही और शहर साफ-सुथरा बना, तो यह बेंगलुरु के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है। लेकिन यदि इस कर का दुरुपयोग हुआ और नागरिकों को अपेक्षित परिणाम नहीं मिले, तो विरोध प्रदर्शन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

बेंगलुरु में कचरा उपयोगकर्ता शुल्क को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है। सरकार जहां इसे कचरा प्रबंधन के लिए जरूरी सुधार बता रही है, वहीं नागरिक इसकी पारदर्शिता को लेकर संदेह जता रहे हैं अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस योजना को कितनी ईमानदारी और प्रभावशीलता से लागू करता है। क्या बेंगलुरु सच में स्वच्छ बनेगा या यह सिर्फ एक और कर वृद्धि बनकर रह जाएगा? यह आने वाले महीनों में साफ हो जाएगा।

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