Samachar Nama
×

शीतला अष्टमी व्रत को सफल बनाती है यह व्रत कथा, मिलता है सुख-समृद्धि का वरदान
 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन शीतला अष्टमी को बेहद ही खास माना जाता है जो कि माता शीतला की पूजा अर्चना को समर्पित होती है। पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर शीतला अष्टमी का व्रत पूजन किया जाता है।

इस दिन भक्त माता शीतला की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता शीतला की पूजा करने से आरोग्य का वरदान मिलता है और मानसिक कष्टों से छुटकारा मिल जाता है।

इस साल शीतला अष्टमी पूजा 22 मार्च दिन शनिवार यानी आज किया जा रहा है इस दिन माता शीतला की पूजा के दौरान उनकी व्रत कथा का पाठ जरूर करें मान्यता है कि इस कथा को पढ़ें से पूजा सफल मानी जाती है और संतान को तरक्की का वरदान भी मिलता है। 

शीतला अष्टमी की व्रत कथा
शीतला अष्टमी की कथा के अनुसार, एक ब्राह्मण परिवार में दो बेटे थे, जिनकी शादी के बाद दो बहुएं घर आईं। कुछ समय बाद, दोनों बहुओं ने बेटे को जन्म दिया। उसी वर्ष शीतला अष्टमी का पर्व आया, जब बासी भोजन ग्रहण करना और चूल्हा जलाना वर्जित होता है। उन दोनों बहुओं ने सोचा कि शीतला अष्टमी के दिन बासी भोजन करने से वे और उनके बच्चे बीमार न पड़ जाएं। इस चिंता में, उन्होंने चुपके से खाने के लिए दो बाटियां बना लीं और उन्हें पशुओं के बर्तन में छिपा दिया।

sheetla ashtami 2025 vrat katha and significance

फिर वे दोनों अपनी सास के साथ शीतला माता के मंदिर गईं, पूजा की और शीतला माता की कथा सुनकर घर वापस आ गईं। सास शीतला माता का भजन करने लगीं, जबकि दोनों बहुएं बच्चों के रोने का बहाना करके पशुओं के पास पहुंचीं। वहां से उन्होंने बर्तन में छिपी बाटी निकाली और खा ली। कुछ समय बाद, सास ने भजन समाप्त करने के बाद दोनों बहुओं को भोजन करने के लिए बुलाया। तब दोनों ने ठंडा भोजन किया और घर के अन्य कार्यों में लग गईं। कुछ समय बाद, सास ने कहा कि बच्चे काफी समय से सो रहे हैं, उन्हें खाना खिलाकर फिर से सुला दो।

दोनों बहुएं जब बच्चों को उठाने गईं, तो देखा कि दोनों के शरीर ठंडे पड़े थे। यह शीतला माता के क्रोध का परिणाम था। दोनों बहुएं घबराई हुईं और डरते हुए अपनी सास को सारी बातें बता दीं। सास ने सुना और कहा, 'तुम दोनों ने शीतला माता के व्रत के नियमों को तोड़ा है और उनकी अवहेलना की है।' गुस्से में आकर सास ने दोनों को घर से निकाल दिया और कहा, 'तुम दोनों बच्चों को पहले जैसा स्वस्थ लेकर ही वापस आना।'

दोनों बहुएं वहां से चली गईं और एक खेजड़ी के पेड़ के नीचे पहुंची, जहां शीतला और ओरी नामक दो बहनें बैठी थीं। दोनों के बालों में जुएं लगी हुई थीं। दोनों बहुएं वहां बैठ गईं और शीतला व ओरी के बालों से जुएं निकालने लगीं, जिससे उन्हें राहत मिली। शीतला और ओरी ने धन्यवाद देते हुए कहा, 'जैसे तुमने हमारे बालों से जुएं निकालकर हमें राहत दी है, वैसे ही तुम्हें पेट की शांति और सुख मिले।'

sheetla ashtami 2025 vrat katha and significance

इस पर दोनों बहुएं कहने लगीं, "हम तो पेट की शांति की खोज में भटक रही हैं, लेकिन अब तक शीतला माता के दर्शन नहीं हुए। 'इस पर शीतला माता ने उत्तर दिया, 'तुम दोनों ने शीतला अष्टमी के दिन गरम भोजन करके पाप किया है।' यह सुनते ही दोनों बहुओं ने शीतला माता को पहचान लिया। वे तुरंत माता के चरणों में प्रणाम करके अपनी गलती के लिए क्षमा मांगने लगीं और कहा, 'अब से हम कभी ऐसी गलती नहीं करेंगे।' उनके वचन सुनकर शीतला माता प्रसन्न हो गईं और अपनी कृपा से दोनों के बच्चों को जीवित कर दिया।

दोनों बहुएं खुशी-खुशी अपने बच्चों के साथ गांव वापस आ गईं। उन्होंने अपनी सास को पूरी घटना बताई और शीतला माता के दर्शन का वर्णन किया। यह सुनकर पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। गांववासियों ने घोषणा की कि वे गांव में शीतला माता का मंदिर बनाएंगे, ताकि पूरे गांव पर माता की कृपा बनी रहे।


sheetla ashtami 2025 read sheetla mata aarti on sheetla ashtami puja 

Share this story