आखिर सुदर्शन किले से कैसे बना राजस्थान का नाहरगढ़ किला ? वायरल वीडियो में जाने द्वापरयुग की कथा का अनसुना रहस्य
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार द्वापर युग में भगवान कृष्ण विचरण करते हुए अंबिका वन में आए थे। इस दौरान उन्होंने इंद्र के पुत्र सुदर्शन का वध किया था। वह एक श्राप के कारण अजगर के रूप में यहां रह रहा था। हजारों साल बाद इस क्षेत्र में एक किला बनाया गया और इसका नाम सुदर्शन किला रखा गया। फिर कुछ ऐसी घटनाएं घटीं, जिसके कारण इस किले का नाम बदलना पड़ा। अगली स्लाइड में जानते हैं कहां है यह मशहूर किला और क्या है इसकी खासियत...
यह किला है नाहरगढ़ किला, जो राजस्थान की राजधानी पिंक सिटी जयपुर के उत्तर-पश्चिम में अरावली पहाड़ी पर स्थित है। बारिश में यहां का नजारा किसी हिल स्टेशन जैसा लगता है। खिड़कियों से बादलों की आवाजाही देखने लायक होती है। रात में यहां से जयपुर की लाइटिंग भी अद्भुत दिखती है। इस किले का निर्माण जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1734 में शुरू करवाया था। पहाड़ी की चोटी पर बने इस किले की वास्तुकला भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
सवाई जयसिंह ने जब इस किले का निर्माण शुरू करवाया था, तब यहां हर दिन एक अनोखी घटना घटती थी। दिन में किले के लिए जो निर्माण कार्य किया जाता था, वह रात में ढह जाता था। यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा। कहा जाता है कि जिस स्थान पर यह किला बनाया जा रहा था, वह नाहर सिंह भोमिया का स्थान था। वे इसे बनने नहीं दे रहे थे। बाद में उनकी विधिवत पूजा की गई और पहले ब्रह्मपुरी और बाद में आमागढ़ की पहाड़ी पर उनका स्थान बनाया गया। उसके बाद इस किले का निर्माण हुआ और नाहर सिंह भोमिया के नाम पर इसका नाम नाहरगढ़ पड़ा। कुछ लोग इसे 'टाइगर फोर्ट' कहकर भी पर्यटकों को गुमराह करते हैं।
दरअसल जयपुर की स्थानीय भाषा में बाघ को 'नाहर' कहा जाता है। नाहरगढ़ किले का निर्माण सवाई जयसिंह द्वितीय के समय शुरू हुआ था। उसके बाद सवाई रामसिंह और सवाई माधोसिंह के समय में यहां काम चलता रहा। माधोसिंह के समय में इस किले को अंतिम रूप दिया गया। इस किले की मुख्य इमारत को माधवेंद्र महल के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही यहां नौ और महल हैं। ये सभी महल माधवेंद्र महल से जुड़े हुए हैं। इन महलों के नाम सूरज प्रकाश महल, चंद्र प्रकाश महल, आनंद प्रकाश महल, जवाहर प्रकाश महल, लक्ष्मी प्रकाश महल, रत्न प्रकाश महल, ललित प्रकाश महल, बसंत प्रकाश महल और खुशाल प्रकाश महल हैं। इन नौ महलों के नाम रानियों के नाम से तय किए गए थे।
इस बावड़ी पर हो चुकी हैं फिल्में
नाहरगढ़ में माधवेंद्र महल के सामने एक बावड़ी है। दरअसल, उस समय यह एक ओपन एयर स्टेज यानी ओपन थियेटर था। रियायत काल के दौरान राजा अपने खास मेहमानों के लिए मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित करते थे। इस बावड़ी के तीन तरफ लहरदार सीढ़ियां हैं। इसकी खूबसूरती देखने लायक है। यहां कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है, जिनमें 'रांद दे बसंती' प्रमुख है। वर्तमान में नाइट टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कैफेटेरिया, रेस्टोरेंट आदि की सुविधा है।