Flyover बनाने के लिए खिसकाया जा रहा है दो दशक से ज्यादा पुराना ये मंदिर, जानिए कैसे

मदुरै शहर में इन दिनों एक अनोखा काम चल रहा है, जहां एक 21 साल पुराना मंदिर अपने स्थान से खिसकाया जा रहा है ताकि फ्लाईओवर बनाने के लिए रास्ता खाली किया जा सके। यह सुनने में जितना अजीब लगता है, उतना ही दिलचस्प भी है। मदुरै-नाथम एलिवेटेड राजमार्ग पर चल रहे फ्लाईओवर के निर्माण कार्य में एक मंदिर का आ जाना, अब तक न केवल इंजीनियरों के लिए चुनौती बन गया है, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय भी बना है। मंदिर को बिना तोड़े खिसकाने की प्रक्रिया को लेकर इंजीनियरों की कई टीमों ने काम शुरू किया है, और यह प्रक्रिया बेहद जटिल और दिलचस्प साबित हो रही है।
मंदिर के बारे में
यह मंदिर 21 साल पुराना है और इसके निर्माण के दौरान स्थानीय लोगों का गहरा जुड़ाव रहा है। हालांकि, इस मंदिर के स्थान पर फ्लाईओवर के निर्माण की योजना पहले से बन चुकी थी, लेकिन मंदिर के महत्व को देखते हुए इसे तोड़ने का निर्णय नहीं लिया गया। यह फैसला मंदिर के पुजारियों और स्थानीय समुदाय के विरोध के बाद लिया गया, जिनका मानना था कि इस मंदिर को तोड़ने से धार्मिक मान्यताओं को ठेस पहुंचेगी।
मंदिर को खिसकाने का निर्णय
मंदिर के स्थान को लेकर पहले तो यह विचार किया गया था कि इसे पूरी तरह से तोड़ा जाए, लेकिन बाद में यह निर्णय लिया गया कि इसे शिफ्ट करना अधिक सही होगा। इस प्रक्रिया में मंदिर को 25 फीट तक खिसकाया जाएगा। यह निर्णय इस कारण लिया गया कि मंदिर को तोड़ने में लगभग 1.2 करोड़ रुपये का खर्च आ सकता था, जबकि इसे खिसकाने की प्रक्रिया सिर्फ 22 लाख रुपये में पूरी हो जाएगी।
मंदिर के पुजारी ए. दामोदरन के मुताबिक, शुरू में यह कहा गया था कि मंदिर के 15 फीट हिस्से को तोड़ा जाएगा, लेकिन फिर यह निर्णय लिया गया कि इसे पूरी तरह से हटाए बिना खिसकाया जाए। इस काम को पूरा करने के लिए इंजीनियरों की कई टीमों ने मिलकर योजना बनाई है, जिसमें नेपाल, बिहार और हरियाणा से आई टीमों ने अपनी विशेषज्ञता प्रदान की है।
इंजीनियरों की टीम और प्रक्रिया
इस मंदिर को खिसकाने के लिए खास तकनीकी उपायों का इस्तेमाल किया जा रहा है। मंदिर को उठाने के लिए 350 जैक लगाए गए हैं। इन जैकों के माध्यम से मंदिर को धीरे-धीरे ऊपर उठाया जाता है, फिर इसे सही दिशा में खिसकाया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को बेहद सावधानी से और कड़ी मेहनत के साथ अंजाम दिया जा रहा है। इंजीनियर धर्मालिंगम के अनुसार, मंदिर का कुल क्षेत्रफल 4,225 वर्ग फीट है और इसकी ऊंचाई लगभग 25 फीट है, जिसमें मंदिर का शिखर शामिल है।
यह काम बेहद चुनौतीपूर्ण है क्योंकि मंदिर का आकार और वजन काफी बड़ा है। मंदिर को शिफ्ट करने के लिए पूरी तरह से मजबूत और स्थिर तरीके से तकनीकी उपायों का पालन किया जा रहा है। एक बार में मंदिर को 3-4 फीट खिसकाना संभव हो पा रहा है। शुक्रवार से शुरू हुई इस प्रक्रिया के बाद, तीन घंटे की कड़ी मेहनत में मंदिर को 3 फुट खिसकाया गया है, और अभी यह 22 फुट और खिसकाना बाकी है।
भविष्य की योजना
इस मंदिर को खिसकाने के बाद इसे एक दूसरी जगह पर शिफ्ट किया जाएगा, जहां इसके लिए विशेष स्थान तैयार किया गया है। मंदिर की नई जगह पर इसे स्थापित करने के बाद, इसका पुनर्निर्माण भी किया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया आने वाले कुछ हफ्तों में पूरी हो जाने की संभावना है, हालांकि समय सीमा को लेकर कोई पक्की जानकारी नहीं दी गई है। स्थानीय लोग इस पूरी प्रक्रिया पर नजर बनाए हुए हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि यह मंदिर अपने नए स्थान पर भी उसी श्रद्धा और आस्था के साथ कायम रहेगा।
इंजीनियरिंग चमत्कार
मंदिर को खिसकाने की इस प्रक्रिया को देख कर बहुत से लोग इसे एक इंजीनियरिंग का चमत्कार मान रहे हैं। यह न केवल एक बड़ी इंजीनियरिंग चुनौती है, बल्कि भारतीय संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं के लिहाज से भी एक अनोखा उदाहरण प्रस्तुत करता है। आम तौर पर, ऐसे धार्मिक संरचनाओं को शिफ्ट करना आसान नहीं होता, लेकिन इस केस में, इंजीनियरों ने विशेष तकनीकी उपायों का पालन किया है, जिससे मंदिर को बिना नुकसान पहुंचाए खिसकाया जा सकता है।
सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण
मंदिर की स्थिति को लेकर समाज में एक बड़ी बहस भी चल रही है। कई लोग मानते हैं कि धार्मिक संरचनाओं को किसी भी विकास कार्य के रास्ते में नहीं आना चाहिए, जबकि दूसरे लोग इसका विरोध करते हैं। इस मुद्दे पर सरकार और स्थानीय प्रशासन ने संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है और मंदिर को खिसकाने के निर्णय को धर्म, संस्कृति और विकास के बीच एक सही समझौता मानते हैं।
इस घटनाक्रम से यह साफ है कि भारत में धार्मिक स्थलों के प्रति गहरी श्रद्धा और सम्मान है, और जब भी विकास कार्य होते हैं, तो उसे इस श्रद्धा का ध्यान रखते हुए ही आगे बढ़ाया जाता है। मंदिर के पुजारी ने भी इस प्रक्रिया को स्वागत योग्य माना और कहा कि यह समाज के लिए एक मिसाल कायम करेगा।
निष्कर्ष
मदुरै-नाथम एलिवेटेड राजमार्ग के फ्लाईओवर निर्माण में आई इस अनोखी स्थिति ने न केवल इंजीनियरिंग के दृष्टिकोण से एक बड़ा उदाहरण पेश किया, बल्कि यह भारतीय समाज में विकास और धार्मिक श्रद्धा के सामंजस्य का भी प्रतीक बन गया है। मंदिर को खिसकाने का यह प्रयास आने वाले समय में भारत के अन्य हिस्सों में भी एक मॉडल के रूप में देखा जा सकता है, जहां विकास और संस्कृति दोनों को साथ लेकर चलने की कोशिश की जाती है।