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Death anniversary of Ramharkh Singh Sehgal जानेमाने पत्रकार और क्रांतिकारी भावनाओं के व्यक्ति रामहरख सिंह सहगल की पुण्यतिथि पर जानें इनका जीवन परिचय

रामहरख सिंह सहगल (जन्म- 28 सितम्बर, 1896, लाहौर, मृत्यु- 1 फरवरी, 1952) अपने समय के जानेमाने पत्रकार और क्रांतिकारी भावनाओं के व्यक्ति थे। उस समय की अद्वितीय मासिक पत्रिका 'चांद' के वे संस्थापक और संपादक....

इतिहास न्यूज डेस्क !! रामहरख सिंह सहगल (जन्म- 28 सितम्बर, 1896, लाहौर, मृत्यु- 1 फरवरी, 1952) अपने समय के जानेमाने पत्रकार और क्रांतिकारी भावनाओं के व्यक्ति थे। उस समय की अद्वितीय मासिक पत्रिका 'चांद' के वे संस्थापक और संपादक थे। राष्ट्रीय आंदोलन को गति देने के उद्देश्य से चांद का 'फांसी अंक' निकाल कर इस अंक की 10000 प्रतियां छापी गई थीं, जिसे अंग्रेज़ी सरकार ने जब्त कर लिया था।

परिचय

रामहरख सिंह सहगल का जन्म 28 सितम्बर, 1896 ई. को लाहौर के निकट एक गांव में हुआ था। उन्होंने पत्रकार का जीवन 1923 ई. में इलाहाबाद से 'चांद' मासिक पत्रिका प्रकाशित करने के साथ शुरू किया। 1927 में 'भविष्य', 1937 में 'कर्मयोगी' और 1940 में 'गुलदस्ता' अंक निकाला। उन्होंने अपने प्रकाशित 'चांद' अंक को जनचेतना और नारी-जागरण का माध्यम बना दिया। इस कार्य से उन्हें विदेशी सरकार का ही नहीं, समाज के कट्टरपंथियों के आक्रोश का भी सामना करना पड़ा था।

योगदान

सहगल का हिंदी पत्रिकाओं के विशेषांक प्रकाशित करने की परंपरा चलाने में बड़ा ही योगदान रहा है। उन्होंने चांद के 'अचूक अंक', 'मारवाड़ी अंक', 'पत्रांक', 'राजपूताना अंक' और 'नारी अंक' निकाल कर समाज का मार्गदर्शन किया। राष्ट्रीय आंदोलन को गति देने के उद्देश्य से प्रकाशित चांद का 'फांसी अंक' निकाल कर उन्होंने जो काम किया, उसे लोग आज भी भूले नहीं हैं। इस अंक की 1931 में 10000 प्रतियां छापी गई थीं। सूचना मिलने पर सरकार ने इसे जब्त कर लिया, पर तब तक यह देशभर में फैल चुका था। पंडित सुंदरलाल लिखित 'भारत में अंग्रेजी राज' का प्रकाशन भी चांद कार्यालय से आप ने ही किया था। यह पुस्तक प्रकाशित होते ही जब्त कर ली गई थी।

कारावास

रामहरख सिंह सहगल के पत्र 'भविष्य' की राष्ट्रीय गतिविधियों के कारण इसके छह संपादकों को कारावास की यातनाएं भुगतनी पड़ी थीं।

मृत्यु

रामहरख सिंह सहगल ने घोर अर्थ-संकट का सामना करते हुए 1 फरवरी, 1952 को दुनिया को अलविदा कह दिया।

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