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Jaipur में डमी फर्मों के माध्यम से पुरानी कारों की खरीद-बिक्री कर चोरी का भंडाफोड़, सरगना राजेश अग्रवाल गिरफ्तार

राज्य कर विभाग की प्रवर्तन शाखा ने एक बड़े कर चोरी रैकेट का पर्दाफाश किया है, जिसमें डमी फर्मों के माध्यम से पुरानी कारों की खरीद-बिक्री कर करोड़ों रुपये का कर अपवंचन किया जा रहा था। इस मामले में मुख्य आरोपी राजेश अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया गया है।

कर चोरी के लिए बनाया छद्म बाजार

राजेश अग्रवाल, जो M/S Auto Junction नामक फर्म का प्रोपराइटर है, ने डमी फर्मों का नेटवर्क बनाकर कर चोरी की इस जटिल योजना को अंजाम दिया। वह न केवल खुद के नाम पर, बल्कि अपने परिवारजनों और अन्य व्यक्तियों के नाम पर पंजीकृत कंपनियों का इस्तेमाल कर रहा था। OLX, CarDekho जैसी ऑनलाइन वेबसाइटों और अन्य प्लेटफॉर्म्स के जरिए पुरानी कारों की बिक्री की जाती थी। इसके अलावा, RTO एजेंटों के माध्यम से भी गाड़ियों की बिक्री की जानकारी एकत्र कर, विभिन्न बिजनेस लॉगिन आईडी के माध्यम से अपलोड की जाती थी। इस पूरे नेटवर्क के जरिए भारी मात्रा में फर्जी इनवॉयस तैयार किए गए और कर चोरी को अंजाम दिया गया।

86 करोड़ के फर्जी इनवॉयस, 16.65 करोड़ का कर अपवंचन

राजेश अग्रवाल द्वारा बनाई गई इन डमी फर्मों के बैंक खातों का संचालन भी स्वयं वही कर रहा था। जरूरतमंद व्यक्तियों को लोन दिलाने का लालच देकर उनके आधार कार्ड और पैन कार्ड का उपयोग कर फर्जी कंपनियां बनाई गईं। इन कंपनियों के माध्यम से कर चोरी कर करोड़ों की हेराफेरी की गई।

जांच में सामने आया कि:

  • करीब 86 करोड़ रुपये के फर्जी इनवॉयस बनाए गए।

  • 15.54 करोड़ रुपये का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम किया गया।

  • लगभग 92 करोड़ रुपये के इनवॉयस पास ऑन कर 16.65 करोड़ रुपये की कर राशि का उपयोग किया गया।

  • आगे की जांच में और अधिक करोड़ों की कर हानि उजागर होने की संभावना है।

गिरफ्तारी और आगे की जांच

राजस्थान राज्य कर विभाग की प्रवर्तन शाखा ने मामले की जांच तेज कर दी थी। प्रमुख आयुक्त प्रकाश राजपुरोहित के आदेश पर, धारा 69 (RGST/CGST Act, 2017) के तहत कार्रवाई की गई। विशेष आयुक्त (प्रवर्तन) जयदेव सी.एस. और अतिरिक्त आयुक्त शिशुपाल सिंह के पर्यवेक्षण में, संयुक्त आयुक्त छवि कुन्तल के नेतृत्व में सहायक आयुक्त हिमांशु शर्मा ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। टीम में अन्य अधिकारी भी शामिल रहे। 25 मार्च 2025 को राजेश अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया गया। अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में अन्य आरोपियों की भी जांच की जा रही है, और आगे और गिरफ्तारियां संभव हैं।

कर अपवंचन पर बढ़ रही सख्ती

इस मामले ने राज्य और केंद्र सरकार को करोड़ों रुपये की कर हानि पहुंचाई है। हाल के वर्षों में फर्जी बिलिंग और कर चोरी के मामलों में वृद्धि देखी गई है, जिसके खिलाफ अब प्रवर्तन एजेंसियां कड़ी कार्रवाई कर रही हैं। राज्य कर विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि GST फ्रॉड और फर्जी इनवॉयस के मामलों पर लगातार नजर रखी जा रही है। डिजिटल मॉनिटरिंग और डेटा एनालिटिक्स के जरिए इस तरह की धोखाधड़ी को पकड़ा जा रहा है।

क्या हो सकती है सजा?

यदि आरोप साबित होते हैं, तो GST अधिनियम, 2017 के तहत राजेश अग्रवाल को 5 साल तक की सजा और भारी आर्थिक दंड का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, डमी फर्मों से जुड़े अन्य लोगों पर भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है। सरकार लगातार GST धोखाधड़ी के मामलों पर शिकंजा कस रही है। हाल ही में कई अन्य मामलों में भी गिरफ्तारियां हुई हैं, और यह संकेत देता है कि अब फर्जी बिलिंग और कर अपवंचन करने वालों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

(नोट: यह समाचार रिपोर्ट अद्यतन जांच के आधार पर तैयार की गई है, आगे की जांच में नए तथ्य सामने आ सकते हैं।)

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