Jaipur में फर्जी बिलिंग से करोड़ों की टैक्स चोरी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, रैकेट का सरगना सीए अंकित जैन गिरफ्तार
राज्य कर विभाग की प्रवर्तन शाखा ने कर चोरी के बड़े रैकेट का पर्दाफाश करते हुए चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) अंकित जैन को गिरफ्तार कर लिया है। अंकित जैन पर आरोप है कि उसने फर्जी इनवॉयस जारी कर 10.05 करोड़ रुपये की आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का गबन किया और कर अपवंचन में संलिप्त रहा।
कैसे दिया कर चोरी को अंजाम?
अंकित जैन, जो M/s Ankit K Co Jain & Associates फर्म का प्रोपराइटर है, ने अपने क्लाइंट्स की कंपनियों के जीएसटी रिटर्न भरने के कार्य का दुरुपयोग किया। उसने बिना किसी वास्तविक माल या सेवा की आपूर्ति किए फर्जी बिलिंग के जरिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) जनरेट और यूटिलाइज किया।
राजस्व विभाग की जांच में सामने आया:
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फर्जी सप्लाई के माध्यम से 10.05 करोड़ रुपये का आईटीसी बनाया और उपयोग किया।
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कर चोरी से बचने के लिए विभिन्न कंपनियों के माध्यम से फर्जी इनवॉयस जारी किए।
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इसके बदले कमीशन के रूप में लाखों रुपये की राशि अर्जित की।
जांच और गिरफ्तारी की पूरी कार्रवाई
राजस्थान राज्य कर विभाग की प्रवर्तन शाखा की टीम ने इस कर अपवंचन मामले की गहन जांच की। जब पर्याप्त साक्ष्य मिले, तो मुख्य आयुक्त प्रकाश राजपुरोहित के आदेश पर RGST/CGST Act, 2017 की धारा 69 के तहत गिरफ्तारी की स्वीकृति दी गई। इसके बाद, विशेष आयुक्त (प्रवर्तन) जयदेव सी.एस. और अतिरिक्त आयुक्त (प्रशासन) शिशुपाल सिंह के निर्देशन में संयुक्त आयुक्त मनीष बक्षी के नेतृत्व में सहायक आयुक्त कृष्ण कुमार स्वामी ने 26 मार्च 2025 को अंकित जैन को गिरफ्तार कर लिया। इस ऑपरेशन में हेमंत चंचल, हेमंत कुमार शर्मा, संजय चौधरी, प्रदीप कुमार और दिनेश कुमार सैनी सहित कई अधिकारियों की टीम शामिल रही।
न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया
गिरफ्तारी के बाद अंकित जैन को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया। अधिकारियों का कहना है कि मामले की आगे जांच जारी है और इस घोटाले में संलिप्त अन्य लोगों पर भी कार्रवाई हो सकती है।
जीएसटी धोखाधड़ी पर कड़ा शिकंजा
जीएसटी प्रणाली को पारदर्शी बनाने के बावजूद हाल के वर्षों में फर्जी बिलिंग और कर चोरी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। प्रवर्तन एजेंसियां अब डिजिटल मॉनिटरिंग और डेटा एनालिटिक्स के जरिए ऐसे मामलों की निगरानी कर रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आरोपी दोषी साबित होता है, तो उसे जीएसटी अधिनियम के तहत 5 साल तक की सजा और भारी जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। सरकार अब ऐसे मामलों पर सख्ती से नकेल कस रही है, जिससे फर्जी बिलिंग करने वाले गिरोहों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
(नोट: यह समाचार रिपोर्ट अद्यतन जांच के आधार पर तैयार की गई है, आगे की जांच में नए तथ्य सामने आ सकते हैं।)