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शरद पवार और भतीजा अजित पवार फिर होंगे एक? दिशा और दशा तय करेगा NCP का स्थापना दिवस

महाराष्ट्र में तीन चौथाई बहुमत से सत्ता में आए महागठबंधन के सामने विपक्ष पस्त नजर आ रहा है। कांग्रेस कमजोर है और शिवसेना व एनसीपी दो धड़ों में बंटी हुई है। एनसीपी का एक धड़ा पावर के साथ है तो दूसरा शरद पवार के साथ....
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महाराष्ट्र में तीन चौथाई बहुमत से सत्ता में आए महागठबंधन के सामने विपक्ष पस्त नजर आ रहा है। कांग्रेस कमजोर है और शिवसेना व एनसीपी दो धड़ों में बंटी हुई है। एनसीपी का एक धड़ा पावर के साथ है तो दूसरा शरद पवार के साथ। मंगलवार यानी 10 जून को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का स्थापना दिवस है, जहां दोनों धड़े पुणे में अलग-अलग कार्यक्रमों में शक्ति प्रदर्शन करेंगे। लेकिन सबसे ज्यादा कयास इस बात को लेकर लगाए जा रहे हैं कि पार्टी में ढीली होती पकड़ के बीच शरद पवार अपने भतीजे के साथ सुलह पार्टी के विलय की दिशा में कदम बढ़ाएंगे या नहीं।

क्या पवार भाजपा के साथ सत्ता में आने पर अपनी मुहर लगाएंगे? महाराष्ट्र में कुछ महीनों बाद निकाय चुनाव होने हैं, ऐसे में आज सबकी नजरें पुणे में होने वाले कार्यक्रमों पर टिकी हैं। उपमुख्यमंत्री अजित पवार गुट का शक्ति प्रदर्शन शिवाजी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में हो रहा है, जहां 50 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ जुटने की संभावना है, जबकि शरद पवार शिवाजी नगर में एनसीपी स्थापना दिवस कार्यक्रम मना रहे हैं, जहां सुबह काफी कम भीड़ दिखी। दोनों कार्यक्रम 10 किलोमीटर की दूरी पर हो रहे हैं। दोनों गुटों में विलय की सुगबुगाहट के बीच यह स्थापना दिवस कार्यक्रम काफी अहम माना जा रहा है।

महाराष्ट्र की राजनीति में एक अद्भुत संयोग है, जब दो पार्टियां सत्ता में भी हैं और विपक्ष में भी। एनसीपी का एक गुट सत्ता में है तो दूसरा विपक्ष में। यही हाल शिवसेना का भी है। भाजपा के पास खुद प्रचंड बहुमत है, लेकिन वह शिवसेना शिंदे और एनसीपी के अजित पवार गुट के साथ मिलकर सरकार चला रही है। 26 साल पहले जब पवार ने एनसीपी की स्थापना की थी, तब उन्होंने राज्य के अलग-अलग हिस्सों से शिक्षा, कृषि, सहकारी संगठनों के युवा नेताओं को आगे लाकर बड़ा कदम उठाया था। इनमें से एक उनके भतीजे अजित पवार भी थे। अजित पवार ने अपनी रणनीतिक सूझबूझ और संगठन को जोड़ने की क्षमता से सभी को प्रभावित किया। आज बाजी पलट गई है। चाचा शरद पवार को धोखा देकर भतीजे ने एनसीपी की कमान संभाल ली है। सत्ता में होने के साथ-साथ संगठन के बड़े नेताओं को भी अपनी ओर खींच लिया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शरद पवार ने कभी भी भाजपा से हाथ नहीं मिलाया है। लेकिन उम्र की मजबूरियों का सामना कर रहे शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को कमान सौंपी है। ऐसे में वे एनसीपी के साथ आने या भाजपा से हाथ मिलाने जैसे फैसलों का विकल्प सामने रख सकते हैं। इससे पवार का वादा भी पूरा होगा और वे एनसीपी के साथ मिलकर सत्ता में आ सकेंगे।

चुनाव आयोग ने भी आधिकारिक तौर पर अजित पवार के गुट को असली एनसीपी के तौर पर मुहर लगा दी है। उन्हें पार्टी का चुनाव चिह्न घड़ी भी मिल गई है। छगन भुजबल, प्रफुल्ल पटेल जैसे वरिष्ठ नेता भी अजित पवार के साथ हैं। बाल गंधर्व रंग मंदिर में एनसीपी शरद पवार गुट और शिवाजी महाराज स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में अजित पवार गुट के आयोजनों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजनीतिक बयार किस तरफ बह रही है।

हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के राजनयिक मिशन से लौटीं एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने अजित पवार को अपना भाई बताया है। साथ ही मोदी सरकार की तारीफ भी की है। इसलिए एनसीपी कार्यकर्ताओं ने भी दोनों पार्टियों के बीच एकजुटता की बात करनी शुरू कर दी है।

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