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आरएसएस का शताब्दी वर्ष समारोह नागपुर में, मोहन भागवत ने सुरक्षा और मित्रभाव पर दिया संदेश

आरएसएस का शताब्दी वर्ष समारोह नागपुर में, मोहन भागवत ने सुरक्षा और मित्रभाव पर दिया संदेश

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने विजयादशमी के अवसर पर नागपुर में अपने शताब्दी वर्ष समारोह का शुभारंभ किया। इस मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने देश और समाज को लेकर महत्वपूर्ण संदेश दिए।

मोहन भागवत का संबोधन

मोहन भागवत ने अपने संबोधन में हाल की कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि प्रयागराज में कुंभ के दौरान सारे कीर्तिमान टूट गए, जिससे लोगों के मन में एक लहर दौड़ गई। उन्होंने यह भी बताया कि पहलगाम में पर्यटकों से धर्म पूछकर गोली चलाने की घटना ने पूरे देश में गुस्सा और चिंता पैदा कर दी।

भागवत ने कहा कि इन घटनाओं ने यह सिखाया कि सभी के प्रति मित्रभाव रखना महत्वपूर्ण है, लेकिन अपनी सुरक्षा के प्रति सतर्क रहना भी जरूरी है। उन्होंने यह भी बताया कि इन घटनाओं के बाद यह स्पष्ट हो गया कि कौन सा देश हमारे साथ है और किस हद तक साथ है।

शताब्दी वर्ष समारोह का महत्व

आरएसएस का शताब्दी वर्ष समारोह संगठन की स्थायित्व और सेवा भाव को प्रदर्शित करने का अवसर है। नागपुर में आयोजित इस समारोह में संघ के विभिन्न गतिविधियों और सामाजिक कार्यों की समीक्षा भी की गई। यह आयोजन समाज में एकजुटता और संगठन की दिशा को दर्शाने वाला रहा।

सुरक्षा और सतर्कता पर जोर

मोहन भागवत ने अपने संदेश में सुरक्षा और सतर्कता पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि मित्रभाव और सामाजिक सहयोग के बावजूद देशवासियों और संगठन को सुरक्षा उपायों का पालन करना चाहिए। उनका यह बयान हाल की हिंसक घटनाओं और आतंकवाद के बढ़ते खतरे के संदर्भ में विशेष महत्व रखता है।

राष्ट्रीय और सामाजिक संदेश

भागवत ने अपने संबोधन में यह भी बताया कि देशवासियों को सभी के प्रति सम्मान और मित्रभाव बनाए रखना चाहिए, लेकिन इसके साथ-साथ राष्ट्र की सुरक्षा और सतर्कता पर ध्यान देना भी जरूरी है। यह संदेश संघ के मूल उद्देश्यों और सामाजिक जिम्मेदारी को दर्शाता है।

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