राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे का पहला साथ, 'दि बेस्ट एम्पलॉइज को-ऑप. क्रेडिट सोसायटी' चुनाव में भाजपा-शिवसेना से सीधी टक्कर
महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर बड़े सियासी बदलावों के संकेत दे रही है। लंबे समय से अलग राह पर चल रहे ठाकरे परिवार के दो अहम चेहरे—महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (UBT) नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे—अब एक मंच पर आते नजर आ रहे हैं।
हाल के दिनों में दोनों नेताओं के निकट आने की अटकलें तेज थीं, और अब इन अटकलों को बल तब मिला जब उन्होंने 'दि बेस्ट एम्पलॉइज को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी' के चुनाव में हाथ मिलाने का फैसला किया।
निकाय चुनाव से पहले ‘ट्रायल बैलट’
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह चुनाव दोनों दलों की संयुक्त ताकत की पहली परीक्षा होगा। आगामी निकाय चुनाव में संभावित गठबंधन की दिशा तय करने से पहले यह मुकाबला उनके लिए ‘ट्रायल बैलट’ जैसा है।
इस चुनाव में उनका सीधा मुकाबला भाजपा और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना से होगा। ऐसे में नतीजे न सिर्फ सोसायटी के नियंत्रण को तय करेंगे, बल्कि आने वाले समय में दोनों ठाकरे गुटों की राजनीतिक रणनीति पर भी असर डालेंगे।
क्या है ‘दि बेस्ट एम्पलॉइज को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी’?
यह संस्था मुंबई के बेस्ट (बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट) कर्मचारियों की एक सहकारी समिति है, जो कर्मचारियों के आर्थिक हितों और कल्याण के लिए काम करती है।
इस चुनाव में जीत का मतलब है—न सिर्फ सोसायटी पर नियंत्रण, बल्कि बेस्ट कर्मचारियों के बीच राजनीतिक पकड़ मजबूत करना, जो मुंबई की राजनीति में एक अहम वोट बैंक माने जाते हैं।
सियासी समीकरण में बदलाव के संकेत
राज और उद्धव ठाकरे की राजनीतिक राह 2006 में अलग हो गई थी, जब राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया।
इसके बाद से दोनों दलों के बीच सियासी खटास बनी रही। लेकिन मौजूदा राजनीतिक हालात—खासतौर पर भाजपा और शिंदे गुट के बढ़ते प्रभाव—ने दोनों को एक-दूसरे के करीब लाने की भूमिका निभाई है।
भाजपा-शिवसेना के लिए चुनौती
राज और उद्धव का यह साथ भाजपा और शिंदे गुट के लिए नई चुनौती साबित हो सकता है। निकाय चुनावों से पहले अगर इस चुनाव में उनकी जीत होती है, तो यह विपक्षी एकजुटता का संदेश देगा और मुंबई में सत्ता समीकरण बदलने की नींव रख सकता है।

