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'पॉल‍िट‍िक्‍स के गजनी...' भाषा विवाद को लेकर उद्धव ठाकरे पर बरसे देवेंद्र फडणवीस, बोले - 'वे अक्सर भूल जाते हैं...’

'पॉल‍िट‍िक्‍स के गजनी...' भाषा विवाद को लेकर उद्धव ठाकरे पर बरसे देवेंद्र फडणवीस, बोले - 'वे अक्सर भूल जाते हैं...’

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को उद्धव ठाकरे पर जमकर निशाना साधा। जब फडणवीस से मराठी विवाद को हवा देने के तरीके के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने सारी पोल खोल दी। उन्होंने उद्धव ठाकरे को राजनीति का गजनी तक कह डाला।

मुंबई टाउनहॉल कार्यक्रम में भाषा विवाद पर बोलते हुए फडणवीस ने कहा, जब नई शिक्षा नीति आई थी, तब साफ कहा गया था कि कक्षा 1 से 12 तक मराठी, अंग्रेजी और हिंदी अनिवार्य होंगी। उस समय उद्धव जी ने इसे मंजूरी दे दी थी। लेकिन चुनाव नजदीक आते ही उन्होंने अपना इरादा बदल दिया। वे गजनी बन गए... भूल गए कि फैसला उन्होंने ही लिया था।

विदेशी भाषाओं को अनुमति नहीं देंगे
फडणवीस ने याद दिलाया कि इस नीति पर फैसला उद्धव ठाकरे के कार्यकाल में हुआ था। हां, जीआर यानी सरकारी प्रस्ताव जरूर उनके समय में आया था। उन्होंने सवाल उठाया, अगर तीन भाषाएं पढ़ानी हैं, तो हमने कहा था- हिंदी नहीं तो देश की कोई भी भाषा चुनो, लेकिन अंग्रेजी के लिए रेड कार्पेट और हिंदी का विरोध क्यों? यह स्पष्ट है कि तीसरी भाषा केवल भारतीय होगी, हम किसी विदेशी भाषा को अनुमति नहीं देंगे।

विवाद क्यों उठा?
महाराष्ट्र में भाषा का मुद्दा हमेशा से संवेदनशील रहा है। मराठी अस्मिता, हिंदी का विरोध और अंग्रेजी को प्राथमिकता - ये तीनों राजनीतिक दलों के लिए अलग-अलग वोट बैंक बनते रहे हैं। ऐसे में, जब महाराष्ट्र में नई शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन की बात आई, तो उद्धव ठाकरे ने इसे मराठी अस्मिता का मुद्दा बना दिया। उन्होंने कहा कि छात्रों पर भाषा थोपना ठीक नहीं है। भाजपा के अनुसार, यही उत्तर प्रदेश विवाद की जड़ बना।

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