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महाराष्ट्र की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी, आर्थर रोड जेल में 3,000 से ज्यादा बंद

महाराष्ट्र की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी, आर्थर रोड जेल में 3,000 से ज्यादा बंद

महाराष्ट्र की जेलों में कैदियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, और कई जेलों में क्षमता से दो-तीन गुना ज्यादा कैदी बंद हैं। इसका सबसे गंभीर उदाहरण मुंबई की आर्थर रोड जेल है, जहां 999 कैदियों की क्षमता के बावजूद, 3,000 से ज्यादा कैदी बंद हैं।

जेलों में बढ़ता दबाव

महाराष्ट्र की जेलों में अत्यधिक भीड़भाड़ हो रही है, जिसके कारण कैदियों के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध नहीं है। आर्थर रोड जेल जैसी जेलों में सेल्स की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव, और स्वच्छता की स्थिति भी चिंता का कारण बन रही है। इस अत्यधिक भीड़भाड़ से जेल प्रशासन के सामने संवेदनशील मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें कैदियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य, और मानवाधिकार जैसे सवाल उठ रहे हैं।

कैदी की संख्या में वृद्धि

महाराष्ट्र में आर्थर रोड जेल, येरवड़ा जेल, और अन्य प्रमुख जेलों में कैदियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। यह स्थिति उस समय और विकट हो जाती है जब जेल में नए मामलों के आरोपियों को प्रवेश मिल जाता है, जो पहले से बंद कैदियों की भीड़ को और बढ़ा देते हैं।

प्रशासनिक चुनौती

जेलों में अत्यधिक भीड़भाड़ को लेकर जेल प्रशासन ने कई कदम उठाने की कोशिश की है, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकला है। प्रशासन का कहना है कि कैदी के स्वास्थ्य और मानवाधिकार को सुनिश्चित करने के लिए जेल सुधारों की जरूरत है।

समाधान की आवश्यकता

कई विशेषज्ञों और मानवाधिकार संगठनों ने इस समस्या को लेकर चिंता जताई है। उनका मानना है कि जेल सुधारों, कैदी के पुनर्वास कार्यक्रम, और आपराधिक न्याय व्यवस्था में बदलाव से जेलों में भीड़भाड़ को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, अधिकारियों का कहना है कि कुछ पुराने मामले जिनमें सजा पूरी हो चुकी है, उन्हें बेल या पैरोल पर छोड़ा जा सकता है, ताकि जेलों पर दबाव कम हो।

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