देशभर में आज से लागू हुई नई जीएसटी दरें, रोजमर्रा की जरूरतों में आएगी राहत
देशभर में आज से नई वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरें लागू कर दी गई हैं। इन नई दरों के लागू होने से रोजमर्रा की जरूरतों की वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च में कमी आने की संभावना है, जिससे आम आदमी और मध्यम वर्ग को आर्थिक राहत मिलने की उम्मीद है।
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने इस फैसले की सराहना करते हुए कहा कि यह कदम आम आदमी, मध्यम वर्ग, किसानों और व्यापारियों के लिए क्रांतिकारी है। उनका मानना है कि नई दरें लागू होने से न केवल महंगाई पर नियंत्रण आएगा, बल्कि व्यापारिक गतिविधियों में भी तेजी आएगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि ये नए जीएसटी सुधार देश की वर्तमान जरूरतों को ध्यान में रखकर लागू किए गए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार का उद्देश्य कर संरचना को सरल, पारदर्शी और व्यापार-अनुकूल बनाना है। इससे देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता और निवेश की संभावनाएं बढ़ेंगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि नई जीएसटी दरें आम जनता की क्रय शक्ति बढ़ाने और वस्तुओं की कीमतों में संतुलन बनाए रखने में मदद करेंगी। इसके अलावा, इससे उद्योग और व्यापारिक इकाइयों के लिए भी टैक्स प्रक्रिया आसान होगी, क्योंकि पुरानी दरों के अनुपालन में समय और संसाधनों की अधिक खपत होती थी।
नई दरों में कृषि उत्पादों, खाद्य वस्तुओं और दैनिक उपयोग की अन्य वस्तुओं पर कर की दर कम की गई है। इससे न केवल खाद्य और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आएगी, बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खरीदारी में राहत भी मिलेगी।
व्यापारियों ने भी नई दरों की शुरुआत का स्वागत किया है। उनका कहना है कि इससे व्यापार में पारदर्शिता बढ़ेगी और कर संबंधी प्रक्रियाएं सरल होंगी। छोटे और मध्यम व्यापारियों को विशेष रूप से लाभ होगा क्योंकि अब उन्हें जटिल कर संरचना और अनुपालन के बोझ से राहत मिलेगी।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि नई जीएसटी दरों के लागू होने से केंद्रीय और राज्य स्तर पर कर संग्रह में भी स्थिरता आएगी। इसके साथ ही, सरकार आम जनता और व्यापारियों के लिए डिजिटल भुगतान और जीएसटी पोर्टल के माध्यम से आसान और तेज प्रक्रियाएं सुनिश्चित कर रही है।
अंततः, देशभर में नई जीएसटी दरों का लागू होना आम नागरिकों, व्यापारियों और किसानों के लिए सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल रोजमर्रा की जरूरतों पर खर्च कम होगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता, निवेश और व्यापारिक पारदर्शिता भी बढ़ेगी।

