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मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस, 12 लोगों की रिहाई पर पीड़ित परिवार का फूटा गुस्सा, बोले – "ये फैसला मजाक जैसा

मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस: 12 लोगों की रिहाई पर पीड़ित परिवार का फूटा गुस्सा, बोले – "ये फैसला मजाक जैसा

11 जुलाई 2006 को मुंबई लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार (21 जुलाई) को बड़ा फैसला सुनाते हुए 12 आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने यह निर्णय सबूतों की कमी और जांच में खामियों के आधार पर सुनाया।

हालांकि कोर्ट के इस फैसले से पीड़ित परिवारों में आक्रोश है। इस धमाके में अपनी बेटी को खो चुके रमेश नाइक ने कहा, "हमें तो ये कोर्ट का निर्णय मजाक जैसा लग रहा है। अगर ये लोग निर्दोष थे, तो फिर हमारी बेटियों और बेटों की जान किसने ली? क्या 2006 का वो दिन अब भी किसी को याद है जब ट्रेनें खून से लथपथ थीं?"

उन्होंने सवाल उठाया कि अगर 12 सालों बाद कोर्ट यह कह रहा है कि आरोपित निर्दोष हैं, तो क्या असली दोषी आज भी खुलेआम घूम रहे हैं?

क्या था मामला?
11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में एक के बाद एक 7 धमाके हुए थे, जिसमें करीब 189 लोगों की जान गई और 800 से ज्यादा घायल हुए थे। यह घटना भारत की आतंकी घटनाओं में से एक सबसे बड़ी वारदात मानी जाती है।

कोर्ट का फैसला
बॉम्बे हाईकोर्ट ने NIA और पुलिस की ओर से पेश किए गए साक्ष्यों को ‘अपर्याप्त और विरोधाभासी’ माना, जिसके आधार पर 12 में से सभी आरोपियों को रिहा कर दिया गया।

अब अगला कदम?
बम धमाकों के पीड़ित परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। उनका कहना है कि उन्हें न्याय चाहिए और दोषियों को सजा।

इस मामले में कोर्ट के फैसले से जहां कुछ लोगों को राहत मिली है, वहीं पीड़ित परिवारों के लिए यह दिन एक बार फिर पुराने घाव ताजा कर गया है।

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