मुंबई DRI ने किया करोड़ों के लग्ज़री फर्नीचर आयात घोटाले का भंडाफोड़, कम कीमत और गलत घोषणा से बचाई जा रही थी कस्टम ड्यूटी
डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) मुंबई यूनिट ने एक बड़े कस्टम ड्यूटी घोटाले का पर्दाफाश किया है, जिसमें करोड़ों रुपये के लग्ज़री फर्नीचर के आयात में मूल्य कम बताने (Undervaluation) और गलत घोषणा (Misdeclaration) जैसी गड़बड़ियों के जरिए राजस्व की चोरी की जा रही थी।
DRI को इस घोटाले की जानकारी एक विशिष्ट खुफिया सूत्र से मिली थी, जिसके बाद अधिकारियों ने तेजी से कार्रवाई करते हुए मुंबई और इसके आसपास के व्यापारिक परिसरों, गोदामों, फ्रेट फॉरवर्डर्स, कस्टम ब्रोकर्स और अन्य संबंधित स्थानों पर छापेमारी की। जांच में यह सामने आया कि कुछ आयातक जानबूझकर फर्नीचर का मूल्य बहुत कम दिखाकर कस्टम ड्यूटी से बचने का प्रयास कर रहे थे।
सूत्रों के अनुसार, ये आयातक भारत में लग्ज़री फर्नीचर की वास्तविक कीमत की तुलना में 60 से 80 प्रतिशत कम मूल्य घोषित कर रहे थे। इसके अलावा, कई बार उत्पाद की वास्तविक प्रकृति और वर्ग को भी गलत तरीके से घोषित किया गया ताकि कम टैक्स दर का लाभ उठाया जा सके।
DRI अधिकारियों ने इस घोटाले में इस्तेमाल किए गए दस्तावेज़ों, चालानों और आयात बिलों की गहराई से जांच की। प्रारंभिक आंकलन में करोड़ों रुपये की कस्टम ड्यूटी की चोरी का अनुमान लगाया गया है। DRI अब इन मामलों में शामिल व्यक्तियों और कंपनियों के खिलाफ कस्टम्स एक्ट और अन्य संबद्ध कानूनों के तहत कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रही है।
यह घोटाला न केवल सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचाने वाला है, बल्कि इससे आयात-निर्यात प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े हुए हैं। इस कार्रवाई के जरिए DRI ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि मूल्य छुपाकर टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों से यह संकेत भी मिलता है कि कस्टम अधिकारियों और व्यापार से जुड़ी एजेंसियों को निरंतर प्रशिक्षण और निगरानी की आवश्यकता है, ताकि इस तरह की धोखाधड़ी समय रहते पकड़ी जा सके।

