महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर बढ़ा विवाद, MNS कार्यकर्ताओं ने बिजनेसमैन सुशील केडिया के ऑफिस पर किया हमला

महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर छिड़ा विवाद अब सिर्फ राजनीतिक बहस तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह अब सीधे उद्योगपतियों के दफ्तरों तक पहुंच गया है। इस विवाद ने हिंसक रूप तब ले लिया जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं ने मशहूर बिजनेसमैन सुशील केडिया के ऑफिस पर पत्थरबाजी और तोड़फोड़ कर दी।
सुशील केडिया के बयान से भड़का मामला
मामला तब गरमाया जब 3 जुलाई को सुशील केडिया ने ट्विटर पर एक पोस्ट कर दी, जिसमें उन्होंने MNS प्रमुख राज ठाकरे को टैग करते हुए लिखा कि उन्हें अब तक मराठी नहीं आती, बावजूद इसके वो पिछले 30 सालों से महाराष्ट्र में रह रहे हैं और काम कर रहे हैं। इस बयान को मराठी अस्मिता के खिलाफ माना गया और MNS कार्यकर्ताओं ने इसे राज्य की भाषा और संस्कृति का अपमान करार दिया।
ऑफिस पर पत्थरबाजी, गार्ड ने की रोकने की कोशिश
केडिया के इस बयान से नाराज होकर 5-6 MNS कार्यकर्ता उनके ऑफिस के बाहर पहुंचे। वे नीले रंग के प्लास्टिक बैग में ईंट और पत्थर भरकर लाए थे। जैसे ही वे ऑफिस पहुंचे, उन्होंने बिना किसी चेतावनी के दफ्तर पर ईंट-पत्थर बरसाना शुरू कर दिया। मौके पर मौजूद सुरक्षा गार्ड ने उन्हें रोकने की भरपूर कोशिश की, लेकिन जब तक उनके पास लाए गए सारे पत्थर खत्म नहीं हो गए, वे नहीं रुके। इस पूरी घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आया है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि कार्यालय की खिड़कियों और बाहरी दीवारों को नुकसान पहुंचाया गया है। इससे ऑफिस के अन्य स्टाफ में डर का माहौल बन गया।
राजनीतिक गर्मी और सामाजिक विभाजन
यह घटना महाराष्ट्र की राजनीति में मराठी बनाम गैर-मराठी बहस को और तेज कर रही है। MNS लंबे समय से यह मांग करती रही है कि महाराष्ट्र में रहने वाले सभी लोगों को मराठी भाषा सीखनी चाहिए और इसका सम्मान करना चाहिए। पार्टी का मानना है कि जो लोग राज्य से कमाते हैं, उन्हें यहां की संस्कृति और भाषा का सम्मान भी करना चाहिए।
प्रशासन और पुलिस की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभाला। फिलहाल इस मामले में FIR दर्ज की जा रही है और वीडियो फुटेज के आधार पर हमले में शामिल कार्यकर्ताओं की पहचान की जा रही है। अभी तक किसी गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन MNS की यह हरकत विपक्ष और नागरिक समाज के बीच तीखी आलोचना का विषय बन चुकी है।