फडणवीस और उद्धव ठाकरे की मुलाकात से महाराष्ट्र की सियासत में हलचल, सत्ता में आने का मिला ऑफर
महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों गर्मी तेज हो गई है, और इसकी बड़ी वजह है उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच हुई मुलाकात। यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब फडणवीस ने हाल ही में उद्धव को सत्तापक्ष में शामिल होने का ‘ऑफर’ दिया था।
मुलाकात ने बढ़ाई राजनीतिक हलचल
जानकारी के अनुसार, यह गोपनीय बैठक गुरुवार, 17 जुलाई को मुंबई के एक निजी स्थान पर हुई। करीब एक घंटे चली इस मुलाकात को लेकर सियासी गलियारों में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। कुछ सूत्रों का दावा है कि यह “राजनीतिक सुलह का प्रयास” हो सकता है, वहीं अन्य इसे भाजपा की रणनीतिक चाल के रूप में देख रहे हैं।
क्या है भाजपा की रणनीति?
राज्य में विधानसभा चुनाव 2024 नजदीक हैं, और भाजपा को यह भलीभांति समझ में आ रहा है कि अकेले दम पर सत्ता में लौटना आसान नहीं है। ऐसे में शिवसेना (यूबीटी) को फिर से साथ लाने की कोशिश सियासी लिहाज से अहम मानी जा रही है।
हालांकि, शिवसेना (शिंदे गुट) पहले से भाजपा के साथ है, लेकिन उद्धव गुट की लोकप्रियता और खासतौर पर मुंबई और कोकण क्षेत्र में पकड़ को भाजपा नजरअंदाज नहीं कर सकती।
उद्धव ठाकरे की चुप्पी
इस पूरे घटनाक्रम में उद्धव ठाकरे की ओर से अब तक कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है। हालांकि सूत्रों के हवाले से खबर है कि उद्धव ने साफ शब्दों में कहा कि वे ‘लोकतांत्रिक मूल्यों से समझौता नहीं करेंगे’। इससे संकेत मिलता है कि वह अभी भी विपक्ष की भूमिका में बने रहना चाहते हैं, लेकिन राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता।
महा विकास अघाड़ी (MVA) में बेचैनी
इस मुलाकात की खबर से कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार गुट) में हलचल है। अगर शिवसेना (यूबीटी) भाजपा के साथ कोई समीकरण बनाती है तो MVA गठबंधन की एकता पर बड़ा असर पड़ सकता है।
निष्कर्ष
देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे की मुलाकात से महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर नए समीकरण बनने की संभावनाएं तेज हो गई हैं। अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि शिवसेना (यूबीटी) सत्तापक्ष का हिस्सा बनेगी या नहीं, लेकिन इतना तय है कि अगले कुछ सप्ताह राज्य की राजनीति के लिहाज से बेहद अहम होने वाले हैं।

