महाराष्ट्र में फिर भड़का भाषाई विवाद, MNS ने गुजराती साइनबोर्ड हटाने का अभियान तेज किया
महाराष्ट्र में भाषा को लेकर विवाद एक बार फिर गर्मा गया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं ने मुंबई-अहमदाबाद नेशनल हाईवे पर स्थित कई होटलों और ढाबों से गुजराती भाषा में लिखे साइनबोर्ड हटाने की कार्रवाई की है। इस कार्रवाई के बाद प्रदेश में भाषाई तनाव की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
पालघर जिले के MNS जिला अध्यक्ष अविनाश जाधव के नेतृत्व में यह अभियान तेज हुआ। उन्होंने स्पष्ट किया है कि महाराष्ट्र में सभी साइनबोर्ड मराठी भाषा में ही होने चाहिए। जाधव ने कहा कि यह महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने के लिए आवश्यक कदम है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर गुजराती साइनबोर्ड नहीं हटाए गए, तो आगे भी ऐसे अभियान जारी रहेंगे।
MNS का यह अभियान उस समय सामने आया है जब महाराष्ट्र में भाषा और सांस्कृतिक मुद्दों को लेकर पहले भी कई बार विवाद देखने को मिला है। पिछले वर्षों में भी मराठी भाषा को बढ़ावा देने और अन्य भाषाओं के साइनबोर्ड हटाने के लिए MNS ने सक्रिय भूमिका निभाई है।
स्थानीय व्यापारियों और गुजराती समुदाय ने इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि व्यापार में भाषा की विविधता का सम्मान होना चाहिए और साइनबोर्ड हटाने जैसी कार्रवाइयां सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकती हैं। कुछ व्यापारी इस मुद्दे को लेकर प्रशासन से सुरक्षा की मांग भी कर रहे हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन अधिकारियों की ओर से कहा जा रहा है कि स्थिति को ध्यान से देखा जा रहा है और किसी तरह के सांप्रदायिक तनाव से बचने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि महाराष्ट्र में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को सम्मान देने के साथ-साथ संवाद और सहिष्णुता की भावना को बढ़ावा देना आवश्यक है, ताकि ऐसी घटनाएं और विवाद प्रदेश में नहीं उभरें।
इस विवाद से यह स्पष्ट होता है कि भाषा को लेकर संवेदनशीलता अभी भी गहरी बनी हुई है और इसे संतुलित तरीके से संभालना सभी के लिए चुनौती बना हुआ है।

