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सांसद के ड्राइवर के नाम 150 करोड़ की ज़मीन गिफ्ट! सालार जंग परिवार की प्रॉपर्टी डील ने खड़े किए कई सवाल

महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों एक ऐसा मामला सुर्खियों में है, जिसने सभी को चौंका दिया है। छत्रपति संभाजीनगर लोकसभा सीट से सांसद संदीपनराव भूमरे के ड्राइवर जावेद रसूल शेख के नाम पर 150 करोड़ रुपये की प्राइम लोकेशन वाली ज़मीन गिफ्ट डीड के तहत लिखी गई है........
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महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों एक ऐसा मामला सुर्खियों में है, जिसने सभी को चौंका दिया है। छत्रपति संभाजीनगर लोकसभा सीट से सांसद संदीपनराव भूमरे के ड्राइवर जावेद रसूल शेख के नाम पर 150 करोड़ रुपये की प्राइम लोकेशन वाली ज़मीन गिफ्ट डीड के तहत लिखी गई है। ज़मीन न तो किसी सामान्य व्यक्ति की है और न ही किसी छोटे मोटे कारोबारी की—बल्कि यह ज़मीन कभी हैदराबाद के दीवान रहे सालार जंग परिवार की बताई जा रही है। अब यह मामला महाराष्ट्र की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की जांच के दायरे में आ चुका है, और राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है।

आखिर कौन हैं ड्राइवर जावेद रसूल शेख?

जावेद रसूल शेख पिछले 13 वर्षों से संदीपनराव भूमरे और उनके बेटे विधायक विलास भूमरे के निजी ड्राइवर के रूप में कार्यरत हैं। उनका यह कार्यकाल स्थिर और विश्वस्त रहा है। लेकिन जब जालना रोड के दाऊदपुरा इलाके में स्थित प्राइम लोकेशन की 150 करोड़ की जमीन उनके नाम गिफ्ट डीड के तहत दर्ज हुई, तो मामला आम नहीं रह गया। जावेद का कहना है कि उनका सालार जंग परिवार से “पुराना और गहरा रिश्ता” है और इसी वजह से उन्हें यह ज़मीन तोहफे में दी गई है। हालांकि, इतना बड़ा “गिफ्ट” महज़ एक ड्राइवर को क्यों और कैसे दिया गया, यह सवाल कई लोगों को खटक रहा है।

जांच में जुटी आर्थिक अपराध शाखा

जैसे ही यह खबर सामने आई, महाराष्ट्र पुलिस और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने इस मामले को गंभीरता से लिया।

  • पुलिस कमिश्नर प्रवीन पवार ने बताया कि जावेद को समन भेजा गया है और उनसे इस डील के सभी पहलुओं पर पूछताछ की जा रही है।

  • यह समन परभणी के एक वकील की शिकायत के बाद भेजा गया, जिन्होंने इस गिफ्ट डील की वैधता और उद्देश्य पर सवाल उठाए थे।

  • सालार जंग परिवार के मीर मजहर अली खान सहित 6 अन्य सदस्यों से इस जमीन की ट्रांसफर डीड और अन्य कागजातों को लेकर संपर्क किया गया है। हालांकि अब तक परिवार की ओर से कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है।

राजनीतिक बयानबाज़ी तेज

इस मामले में जब मीडिया की नज़र सांसद और उनके विधायक बेटे पर गई तो विलास भूमरे ने बयान दिया कि“जावेद भले हमारा ड्राइवर है, लेकिन उसके व्यक्तिगत लेन-देन और संपत्ति से हमारा कोई लेना-देना नहीं। पुलिस जबरदस्ती इस मामले में मेरा और मेरे पिता का नाम घसीट रही है। विलास भूमरे ने यह भी बताया कि उनसे भी आर्थिक अपराध शाखा ने पूछताछ की है। उन्होंने इस जांच को “राजनीतिक बदले की भावना” से प्रेरित करार दिया और कहा कि किसी ड्राइवर की निजी ज़िंदगी पर मालिकों का नियंत्रण नहीं होता।

सालार जंग परिवार का इतिहास

सालार जंग परिवार भारत के इतिहास में एक प्रतिष्ठित और राजसी परिवार रहा है।

  • यह परिवार हैदराबाद के निजामों के दरबार में प्रधानमंत्री और दीवान जैसे उच्च पदों पर रहा है।

  • इनके नाम पर सालार जंग म्यूज़ियम भी देश के प्रमुख ऐतिहासिक संग्रहालयों में गिना जाता है।

  • परिवार के पास ऐतिहासिक रूप से बड़ी मात्रा में ज़मीन और संपत्तियाँ रही हैं।

ऐसे परिवार से जुड़ी ज़मीन को एक साधारण ड्राइवर के नाम करना न केवल अचरज पैदा करता है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि कहीं इस गिफ्ट डील की आड़ में कोई बड़ा लेन-देन या बेनामी सौदा तो नहीं छुपा हुआ है?

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

कानूनी जानकारों के अनुसार, इस तरह की गिफ्ट डीड अगर न्यायोचित और स्पष्ट संबंधों के बिना की जाए, तो उसे संदिग्ध माना जा सकता है। खासकर जब गिफ्ट की राशि इतनी बड़ी हो और लाभार्थी की पृष्ठभूमि इतनी सामान्य हो, तब कालेधन के निवेश, बेनामी संपत्ति और भ्रष्टाचार जैसे शक उत्पन्न होते हैं।

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