Samachar Nama
×

पहले डराया, फिर नकली जज बन की वीडियो कॉल... 73 साल की बुजुर्ग महिला के खाते से साइबर ठगों ने उड़ाए 2.89 करोड़

मुंबई में एक बार फिर साइबर अपराधियों ने सरकारी अधिकारी बनकर एक बुजुर्ग महिला को निशाना बनाया और 2.89 करोड़ रुपये की ठगी कर डाली। हालांकि मुंबई पुलिस की सतर्कता और तेज़ कार्रवाई की बदौलत समय रहते 1.29 करोड़ रुपये वापस...
safsd

मुंबई में एक बार फिर साइबर अपराधियों ने सरकारी अधिकारी बनकर एक बुजुर्ग महिला को निशाना बनाया और 2.89 करोड़ रुपये की ठगी कर डाली। हालांकि मुंबई पुलिस की सतर्कता और तेज़ कार्रवाई की बदौलत समय रहते 1.29 करोड़ रुपये वापस दिलवाए जा सके। इस मामले ने साइबर ठगों की बढ़ती हिम्मत और बुजुर्गों को निशाना बनाए जाने की गंभीरता को एक बार फिर सामने ला दिया है।

कैसे हुई ठगी?

पीड़िता, विले पार्ले इलाके में रहने वाली 73 वर्षीय महिला, सोमवार से बुधवार के बीच एक हाई-प्रोफाइल साइबर जाल में फंस गईं। पुलिस के मुताबिक, ठगों ने WhatsApp कॉल और वीडियो कॉल के जरिए खुद को क्रमशः ट्राई (भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण) का अधिकारी, एक पुलिसकर्मी और यहां तक कि एक जज बनाकर महिला को भ्रमित किया। पहले कॉल में एक व्यक्ति ने खुद को TRAI अधिकारी बताया और कहा कि उनके बैंक खाते से कुछ संदिग्ध ट्रांजैक्शन हुए हैं। इसके बाद एक दूसरा कॉल आया, जिसमें आरोपी ने खुद को पुलिस अधिकारी बताया और धमकाया कि महिला धोखाधड़ी के आरोपी व्यवसायी से जुड़ी हुई हैं और उन्हें डिजिटल गिरफ्तारी के तहत लिया जाएगा।

तीसरे वीडियो कॉल में एक आरोपी ने जज बनकर महिला को आश्वासन दिया कि अगर वो कुछ निर्धारित रकम ट्रांसफर करेंगी, तो गिरफ्तारी से बच सकती हैं। इस तरह, महिला को मानसिक रूप से दबाव में लाकर उन्होंने अलग-अलग ट्रांजैक्शन के जरिए कुल 2.89 करोड़ रुपये निकलवा लिए।

बुजुर्ग महिला की सतर्कता बनी बचाव की वजह

धोखाधड़ी के कुछ ही समय बाद, महिला को शक हुआ कि उनके साथ कुछ गड़बड़ हो रही है। उन्होंने तुरंत 1930 साइबर हेल्पलाइन पर कॉल किया और अपनी आपबीती बताई। इसके बाद मुंबई पुलिस ने तेजी दिखाते हुए एनसीपीआर पोर्टल (National Cybercrime Reporting Portal) पर मामला दर्ज किया और ट्रांसफर की गई रकम को फ्रीज कराने की कार्रवाई शुरू की। नतीजा ये रहा कि पुलिस 1.29 करोड़ रुपये की राशि को रीकवर करने में सफल रही।

पुलिस का बयान

मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “महिला की शिकायत और समय पर की गई रिपोर्टिंग की वजह से हम त्वरित कार्रवाई कर सके। अगर थोड़ा और देर होती, तो पूरी रकम का ट्रेस करना मुश्किल हो जाता। बाकी रकम की रिकवरी और अपराधियों की पहचान के लिए तकनीकी जांच जारी है।”

सीख और चेतावनी

यह मामला दिखाता है कि साइबर ठग अब बेहद चतुराई से नए-नए रूपों में, डर का माहौल बनाकर, खासतौर से बुजुर्गों को टारगेट कर रहे हैं।
इसलिए, कुछ जरूरी सावधानियां:

  1. कभी भी व्हाट्सएप कॉल या वीडियो कॉल पर व्यक्तिगत जानकारी शेयर ना करें।

  2. कोई सरकारी अधिकारी या पुलिसकर्मी डिजिटल गिरफ्तारी का डर दिखाकर पैसा नहीं मांगता।

  3. ऐसी किसी भी कॉल या मैसेज की जानकारी तुरंत 1930 साइबर हेल्पलाइन पर दें।

  4. संदेह होने पर तुरंत बैंक से संपर्क करें और ट्रांजैक्शन रोकें।

  5. बुजुर्गों को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करें।

निष्कर्ष

मुंबई की यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि साइबर फ्रॉड अब घर-घर तक पहुंच चुका है, और ठगों के तौर-तरीकों में जबरदस्त प्रोफेशनलिज्म आ गया है। हालांकि मुंबई पुलिस की तत्परता ने इस बार बड़ी राहत दी, लेकिन आने वाले वक्त में जनजागरूकता और समय पर प्रतिक्रिया ही सबसे बड़ा हथियार बनकर उभर सकता है।

Share this story

Tags