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MNS के मार्च पर सख्ती से बिफरे एकनाथ शिंदे, अपनी ही पार्टी को देने लगे टेंशन

मराठी भाषा को लेकर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की एकता के चलते शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे अपना जनाधार खोते नजर आ रहे हैं। ऐसे में अब उनकी पार्टी भी सक्रिय हो गई है और मराठी भाषा को लेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के लोगों का कड़ा विरोध किया....
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मराठी भाषा को लेकर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की एकता के चलते शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे अपना जनाधार खोते नजर आ रहे हैं। ऐसे में अब उनकी पार्टी भी सक्रिय हो गई है और मराठी भाषा को लेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के लोगों का कड़ा विरोध किया है। मीरा भयंदर पुलिस ने आज सुबह बड़ी संख्या में मनसे के लोगों को हिरासत में लिया है। इसके अलावा विरोध मार्च पर भी रोक लगा दी गई है। इस बात से मनसे और उद्धव सेना समर्थक नाराज हैं। इन लोगों का कहना है कि सरकार ने व्यापारियों के विरोध प्रदर्शन को तो नहीं रोका, लेकिन हमारे खिलाफ सख्ती दिखाई जा रही है।

मराठी लोगों से क्या दिक्कत है? मनसे कार्यकर्ताओं ने कहा, 'यह सरकार महाराष्ट्र और मराठी लोगों की है या दूसरे राज्यों की है? मराठी लोगों से क्या दिक्कत है? मराठी बनाम हिंदी विवाद में अपनी जमीन खिसकने के डर से एकनाथ शिंदे गुट भी सक्रिय हो गया है। सरकार में होते हुए भी उन्होंने मनसे के लोगों की सख्ती पर ऐतराज जताया है। फडणवीस सरकार में मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा कि मराठी लोगों को मार्च क्यों नहीं करने दिया जा रहा है। इतना ही नहीं उन्होंने इशारों-इशारों में भाजपा पर निशाना भी साधा। सरनाईक ने कहा कि पुलिस की मंशा क्या है। किस राजनीतिक दल को फायदा पहुंचाने के लिए मराठी लोगों पर इस तरह के अत्याचार किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, 'मैं मराठी लोगों पर कार्रवाई की निंदा करता हूं। पुलिस को मार्च करने की अनुमति देनी चाहिए थी। इसके कारण शहर में अनावश्यक हंगामा हो रहा है। गृह मंत्रालय ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है कि आंदोलन की अनुमति नहीं है। फिर लोगों को क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है। ऐसा लगता है कि यह किसी राजनीतिक दल को फायदा पहुंचाने के लिए हो रहा है।'

दरअसल, अब मराठा कार्ड पर राजनीति करने वाली तीन पार्टियां हैं। उद्धव सेना, मनसे और एकनाश शिंदे की शिवसेना। अब जब दोनों गुटों का विलय हो गया है, तो एकनाश शिंदे सेना को लगता है कि इससे उसका आधार खराब होगा। यही वजह है कि अब उन्होंने मनसे के लोगों पर कार्रवाई का विरोध किया है। महाराष्ट्र में भाजपा को भी बाहरी वोटरों की पार्टी माना जाता है। इसकी वजह यह है कि यह हिंदुत्व की राजनीति पर ध्यान देती है, जिसमें दूसरे राज्यों के हिंदू भी शामिल होते हैं। भाजपा नेता नितेश राणे ने भी गैर मराठी लोगों की पिटाई पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि यह गरीब हिंदुओं पर हमला है।

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