महाराष्ट्र की राजनीति में धनंजय मुंडे की सक्रियता बढ़ी, मंत्री पद पर वापसी की अटकलें तेज
महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर धनंजय मुंडे का नाम चर्चा में है। बीड़ जिले की परली विधानसभा सीट से एनसीपी (अजित पवार गुट) के विधायक मुंडे लंबे समय से राज्य की राजनीति में एक प्रभावशाली चेहरा रहे हैं। वे राज्य के पूर्व कृषि मंत्री रह चुके हैं, लेकिन मार्च 2025 में उन्हें अचानक मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उस समय उनका इस्तीफा कई तरह के राजनीतिक और व्यक्तिगत कारणों से जुड़ा हुआ बताया गया था।
हालांकि अब एक बार फिर धनंजय मुंडे की सियासी सक्रियता बढ़ने लगी है और राजनीतिक गलियारों में उनकी सरकार में वापसी को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। बीते कुछ हफ्तों में उन्होंने लगातार सरकारी और राजनीतिक कार्यक्रमों में भागीदारी बढ़ाई है, साथ ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम अजित पवार के साथ उनकी बैठकों ने भी इन चर्चाओं को और बल दिया है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो एनसीपी (अजित गुट) में एक बार फिर मुंडे को बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। कुछ अटकलों के अनुसार, उन्हें फिर से मंत्री पद दिया जा सकता है, संभवतः किसी नए विभाग की कमान सौंपी जा सकती है। हालांकि इस पर अभी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
धनंजय मुंडे का राजनीतिक सफर काफी उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। एक समय वे शरद पवार के करीबी माने जाते थे, लेकिन अजित पवार के साथ खड़े होकर उन्होंने अपनी अलग सियासी राह चुनी। परली विधानसभा क्षेत्र में उनका मजबूत जनाधार है और बीड़ जिले में वे एक सशक्त राजनीतिक चेहरे के रूप में स्थापित हैं।
उनकी वापसी की चर्चाएं ऐसे समय पर हो रही हैं जब महाराष्ट्र सरकार में संभावित कैबिनेट विस्तार को लेकर कई नामों पर विचार चल रहा है। सूत्र बताते हैं कि एनसीपी (अजित पवार गुट) अपने कोटे से दो से तीन नए चेहरों को मंत्री पद पर लाना चाहती है, और धनंजय मुंडे का नाम इस सूची में सबसे ऊपर माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि धनंजय मुंडे की वापसी न केवल पार्टी के भीतर संतुलन बनाएगी, बल्कि मराठवाड़ा क्षेत्र में एनसीपी के प्रभाव को भी मजबूती दे सकती है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वास्तव में धनंजय मुंडे एक बार फिर मंत्रिमंडल में वापसी करते हैं, या यह चर्चा फिलहाल अटकलों तक सीमित रह जाती है। लेकिन इतना तय है कि उनकी बढ़ती गतिविधियां आने वाले राजनीतिक घटनाक्रमों का संकेत जरूर दे रही हैं।

