Samachar Nama
×

महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर विवाद गहराया, घाटकोपर में उत्तर भारतीय महिला से माफीनामा मंगवाने का मामला सामने आया

महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर विवाद गहराया, घाटकोपर में उत्तर भारतीय महिला से माफीनामा मंगवाने का मामला सामने आया

महाराष्ट्र में एक बार फिर भाषा विवाद ने तूल पकड़ लिया है। इस बार विवाद की चिंगारी मुंबई के घाटकोपर इलाके से उठी है, जहां महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कुछ कार्यकर्ताओं ने एक उत्तर भारतीय महिला को सिर्फ इसलिए अपमानित किया क्योंकि वह मराठी नहीं बोल रही थी। घटना का वीडियो सामने आने के बाद राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में इस मुद्दे को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है।

जानकारी के मुताबिक, यह मामला तब सामने आया जब MNS के कुछ कार्यकर्ता घाटकोपर इलाके में दुकानें और लोगों से मराठी में संवाद को लेकर अभियान चला रहे थे। इस दौरान जब एक उत्तर भारतीय महिला मराठी में बात नहीं कर पाई, तो कुछ स्थानीय महिलाओं ने उस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। वीडियो में देखा जा सकता है कि एक मराठी महिला उस उत्तर भारतीय महिला को धमकी भरे लहजे में कहती है – “दो बार जय महाराष्ट्र बोल, नहीं तो बिहार भेज देंगे तेरे को…”।

महिला पर मानसिक दबाव बनाते हुए उसे मराठी न बोलने पर माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया। वहीं, MNS के कुछ पुरुष कार्यकर्ता भी उस समय मौके पर मौजूद थे, लेकिन किसी ने महिला को रोकने की कोशिश नहीं की। वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। जहां एक ओर कुछ लोग इसे ‘भाषाई तानाशाही’ बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर MNS के समर्थकों ने इसे “मराठी अस्मिता की रक्षा” बताया।

घटना को लेकर महाराष्ट्र सरकार पर भी सवाल उठने लगे हैं। विपक्षी दलों ने राज्य सरकार से इस तरह की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। कांग्रेस नेता ने कहा, “भाषा के नाम पर इस तरह की गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। महाराष्ट्र सभी भाषाओं और संस्कृतियों का संगम है, न कि एक भाषा का गढ़।”

उधर, उत्तर भारतीय संगठनों ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है। उत्तर भारतीय विकास मंच के अध्यक्ष ने कहा कि महाराष्ट्र में रह रहे उत्तर भारतीयों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है और यह घटना उसकी बानगी है। उन्होंने राज्यपाल से इस मामले में स्वत: संज्ञान लेने की अपील की।

इस बीच, पुलिस ने वीडियो का संज्ञान लेते हुए जांच शुरू कर दी है। हालांकि अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। मुंबई पुलिस का कहना है कि मामले की जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर रही है कि क्या भारत जैसे बहुभाषी देश में किसी खास भाषा को थोपना उचित है? और क्या लोकतंत्र में किसी को उसकी मातृभाषा या पसंद की भाषा के आधार पर अपमानित किया जा सकता है?

Share this story

Tags