सीएम फडणवीस और शिंदे को कोर्ट से मिला बड़ा झटका; टेंडर हुआ रद्द, सही बैठा आदित्य ठाकरे का दावा

महाराष्ट्र की राजनीति में उस समय भूचाल आ गया जब मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) द्वारा दो प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के टेंडर रद्द कर दिए गए। इन परियोजनाओं की कुल लागत करीब 14,000 करोड़ रुपये थी, जिनमें से एक 6,000 करोड़ रुपये की एलिवेटेड रोड और दूसरी 8,000 करोड़ रुपये की रोड टनल परियोजना शामिल है। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इन टेंडरों को रद्द किया गया, जिसे MMRDA ने जनहित में लिया गया निर्णय बताया है।
एकनाथ शिंदे पर विपक्ष का हमला
परियोजनाओं के टेंडर रद्द होने के बाद विपक्ष ने राज्य के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर सीधा हमला बोला है, क्योंकि MMRDA उनके अधीन काम करता है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने इस पूरे प्रकरण को "धांधली से भरा" बताते हुए शिंदे की मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी की मांग की है। आदित्य का आरोप है कि टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता की भारी कमी थी और कुछ कंपनियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से टेंडर के लिए पहले केवल 20 दिन का समय दिया गया, जिसे बाद में न्यायिक हस्तक्षेप के चलते 60 दिन तक बढ़ाना पड़ा।
आदित्य ठाकरे ने यह भी कहा कि इतने बड़े प्रोजेक्ट्स में पारदर्शिता का न होना सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है। उन्होंने स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग करते हुए कहा कि जब तक इसकी निष्पक्षता साबित नहीं हो जाती, एकनाथ शिंदे को मंत्रिमंडल से हटाया जाना चाहिए।
कांग्रेस का समर्थन, सरकार की सफाई
कांग्रेस ने भी शिवसेना (यूबीटी) की न्यायिक जांच की मांग का समर्थन करते हुए मामले की गंभीरता पर बल दिया है। वहीं, शिवसेना के गृह राज्य मंत्री योगेश कदम ने विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज करते हुए आदित्य ठाकरे पर राजनीतिक नौटंकी करने का आरोप लगाया है। कदम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को एकनाथ शिंदे से जोड़ना अनुचित है। योगेश कदम ने दावा किया कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में MMRDA ने कई परियोजनाएं समय पर और पारदर्शी तरीके से पूरी की हैं और इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देकर विकास कार्यों को बाधित करने की कोशिश की जा रही है।
क्या होगी अगली कार्रवाई?
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद टेंडर रद्द होने से विपक्ष को एकनाथ शिंदे पर निशाना साधने का बड़ा मौका मिल गया है। अब सबकी निगाहें राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर टिकी हैं कि वे इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं — क्या वे स्वतंत्र जांच के आदेश देंगे या सरकार अपने रुख पर अडिग रहेगी। इस पूरे घटनाक्रम ने महाराष्ट्र की राजनीति में भ्रष्टाचार, पारदर्शिता और जवाबदेही जैसे अहम मुद्दों को फिर से केंद्र में ला दिया है। आने वाले दिनों में इस पर राजनीतिक गर्मी और तेज होने की पूरी संभावना है।