महाराष्ट्र में UAPA की वैधता को चुनौती वाली याचिका खारिज, बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा- इसे राष्ट्रपति की मंजूरी
बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, यानी UAPA की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह कानून संविधान के अनुरूप है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से इसकी उपयोगिता आवश्यक है।
कोर्ट का तर्क:
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राष्ट्र की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए ऐसे कठोर कानूनों की आवश्यकता है।
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UAPA का उद्देश्य आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाना है, न कि आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन करना।
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यदि किसी मामले में दुरुपयोग होता है, तो उसके लिए कानूनी उपचार के रास्ते खुले हैं।
याचिकाकर्ता की दलील:
याचिकाकर्ता ने यह दलील दी थी कि UAPA की कुछ धाराएं व्यक्ति की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आज़ादी का उल्लंघन करती हैं, और इसका इस्तेमाल राजनीतिक विरोध को दबाने के लिए हो सकता है।
पृष्ठभूमि:
UAPA भारत में आतंकवाद और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए बनाया गया विशेष कानून है, जिसकी धाराएं कठोर मानी जाती हैं – खासकर ज़मानत देने के प्रावधानों में।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब UAPA के तहत गिरफ्तारियों और इसके कथित दुरुपयोग को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बहस चल रही है। कोर्ट का यह निर्णय सरकार की आतंकवाद-रोधी नीतियों को संवैधानिक समर्थन प्रदान करता है।

