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महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा बदलाव, ठाकरे ब्रदर्स एक साथ, राज ठाकरे पहुंचे मातोश्री

महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा बदलाव: ठाकरे ब्रदर्स एक साथ, राज ठाकरे पहुंचे मातोश्री

महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय से चली आ रही खटास को दरकिनार करते हुए ठाकरे परिवार में एक सकारात्मक संकेत देखने को मिला है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे एक बार फिर नजदीक आते नजर आ रहे हैं। गुरुवार को उद्धव ठाकरे के 64वें जन्मदिन के मौके पर उनके चचेरे भाई राज ठाकरे मातोश्री निवास पहुंचे और उन्हें शुभकामनाएं दीं।

इस मुलाकात ने महाराष्ट्र की राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज कर दिया है। करीब आधे घंटे तक चली यह मुलाकात महज एक शिष्टाचार भेंट नहीं बल्कि भविष्य की संभावनाओं की ओर इशारा करती प्रतीत हो रही है। इस दौरान राज ठाकरे के साथ एमएनएस के वरिष्ठ नेता बाला नंदगांवकर और नितिन सरदेसाई भी मौजूद रहे।

राजनीतिक संकेत या पारिवारिक मुलाकात?

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के संबंधों में पिछले कई वर्षों से तनातनी रही है। बाल ठाकरे की राजनीतिक विरासत को लेकर शुरू हुई यह दूरी समय के साथ गहराती गई। एमएनएस के गठन के बाद दोनों दलों की विचारधारा और रणनीति भी अलग होती चली गई। लेकिन अब इस ताजा मुलाकात ने यह संकेत दिया है कि बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच परिवार के दोनों प्रमुख नेता एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, इस मुलाकात में केवल जन्मदिन की बधाई तक ही बात सीमित नहीं रही, बल्कि राज्य की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर भी चर्चा हुई। हालांकि, दोनों पक्षों की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।

लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच बढ़ी हलचल

यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। शिवसेना (यूबीटी) महा विकास आघाड़ी (एमवीए) का हिस्सा है, जबकि एमएनएस का रुख अब तक स्पष्ट नहीं है। ऐसे में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की नजदीकियां विपक्षी एकता को मजबूती प्रदान कर सकती हैं, या फिर महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया समीकरण उभर सकता है।

भविष्य की राजनीति पर नजर

राज ठाकरे की मातोश्री यात्रा को सामान्य नहीं माना जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में दोनों नेताओं के बीच और भी बैठकें हो सकती हैं। अगर दोनों दल एक मंच पर आते हैं तो यह बीजेपी के लिए एक चुनौती बन सकता है, खासकर मुंबई और मराठी वोट बैंक वाले क्षेत्रों में।

फिलहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुलाकात राजनीतिक गठजोड़ की शुरुआत है या सिर्फ पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने की एक कोशिश।

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