
लड़की बहन योजना का लाभ 2.5 लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय वाली महिलाओं द्वारा भी लेने की बात सामने आने के बाद सरकार ने जांच प्रक्रिया शुरू की थी। अब आयकर विभाग के अधिकार क्षेत्र में आने वाले केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने लाभार्थी महिलाओं की जानकारी देने को मंजूरी दे दी है। इसके चलते महिला एवं बाल विकास विभाग आयकर रिटर्न के आंकड़ों का इस्तेमाल कर आयकर चुकाने वाली महिलाओं की सूची तैयार कर उन्हें मिलने वाला लाभ बंद कर देगा। सरकार ने जब लड़की बहन योजना शुरू की थी, तब शर्त थी कि आवेदक महिला के परिवार की संयुक्त वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम होनी चाहिए। हालांकि, 2.5 लाख रुपये से अधिक आय वाली कर चुकाने वाली महिलाओं ने भी आवेदन किया था। विभाग ने फिलहाल 2.52 करोड़ आवेदनों की सूची की जांच के लिए विशेष कमेटी गठित की है। इसके तहत कर चुकाने वाले या सरकारी नौकरी करने वाले परिवारों की महिलाओं के आवेदन अयोग्य घोषित किए जाएंगे। पिछली जांच में 2 लाख आवेदनों में से 2289 सरकारी कर्मचारी लाभार्थी पाए गए थे, उनके नाम तत्काल हटा दिए गए थे।
मंत्री अदिति तटकरे ने स्पष्ट किया कि कल्याणकारी योजनाओं के लिए यह निरीक्षण एक आवश्यक और नियमित प्रक्रिया है। अदिति तटकरे ने बताया, 'लड़की बहिन योजना के बारे में गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं। यह योजना जारी रहेगी। चार महीने पहले एक निरीक्षण में पाया गया था कि सरकारी महिला कर्मचारी इस योजना का लाभ ले रही हैं। तब से उन्हें लाभ मिलना बंद हो गया है।' 'लड़की बहिन योजना' 21 से 65 वर्ष की आयु के निम्न आय वर्ग की विवाहित, विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्त या अकेली महिलाओं के लिए है। फिलहाल मई महीने के लिए 3719 करोड़ रुपये का फंड वितरित किया गया है और 2.47 करोड़ महिलाओं को इसका सीधा लाभ मिलने की संभावना है। राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने खुद स्वीकार किया था कि 'लड़की बहिन योजना' में कुछ गलतियां थीं। सरकारी कर्मचारियों सहित कई अपात्र महिलाओं ने इस योजना का लाभ उठाया है। कई महिलाओं ने मापदंड तोड़कर आवेदन किया था। अब उनके आवेदन खारिज किए जा रहे हैं। अब पात्र महिलाओं के आवेदनों की मापदंड के अनुसार दोबारा जांच शुरू हो गई है।