बंद कमरे में 20 मिनट की गुफ्तगू! उद्धव-फडणवीस की मुलाकात से बढ़ी सियासी सरगर्मियां, क्या फिर साथ आएंगे दोनों?
महाराष्ट्र विधानसभा में आज एक अहम राजनीतिक हलचल देखने को मिली। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच बंद कमरे में मुलाकात हुई। विधान परिषद के सभापति राम शिंदे के कक्ष में यह बैठक करीब 20 मिनट तक चली। इस बैठक में आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब एक दिन पहले ही देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को सरकार में शामिल होने का न्योता दिया था।
क्या राज्य में नए राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं?
हालांकि इस मुलाकात को लेकर दोनों नेताओं की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन इस मुलाकात को महाराष्ट्र की राजनीति में संभावित नए समीकरणों के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
फडणवीस ने कल ही दिया था प्रस्ताव
गौरतलब है कि बुधवार को ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधान परिषद में अपने पुराने सहयोगी उद्धव ठाकरे को सत्तारूढ़ दल में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था। हालाँकि पूरे सदन ने इस प्रस्ताव पर चुटकी ली थी, लेकिन शिवसेना प्रमुख चुप रहे।
फडणवीस का पूरा बयान क्या था?
आपको बता दें कि देवेंद्र फडणवीस ने यह बयान विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे के कार्यकाल की समाप्ति के अवसर पर आयोजित विदाई समारोह के दौरान दिया था। उद्धव को सत्तारूढ़ दल में शामिल होने का प्रस्ताव देते हुए सीएम ने कहा था, 'देखिए उद्धव जी, 2029 तक हमारे वहाँ (विपक्ष में) आने की कोई गुंजाइश नहीं है... लेकिन आप यहाँ (सत्तारूढ़ दल में) आ सकते हैं, इस पर विचार किया जा सकता है। हम इस पर अलग तरह से विचार कर सकते हैं। लेकिन हमारे पास वहाँ जाने का कोई विकल्प नहीं बचा है।' उन्होंने यह भी कहा कि अंबादास दानवे जहाँ भी हों (सत्तारूढ़ दल में या विपक्ष में), उनके वास्तविक विचार राष्ट्रवादी हैं।
महाराष्ट्र का राजनीतिक समीकरण
फडणवीस का यह बयान ऐसे समय आया है जब महाराष्ट्र की राजनीति में गठबंधन और टकराव का दौर चल रहा है। 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद, मुख्यमंत्री पद को लेकर मतभेदों के कारण भाजपा और शिवसेना (उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली) के बीच गठबंधन टूट गया था, जिसके बाद उद्धव ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) का गठन कर सरकार बनाई थी। हालांकि, 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उद्धव सरकार गिर गई थी। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई थी।

