‘वक्फ बिल संविधान पर सीधा आक्रमण’, जयराम रमेश ने जेडीयू-टीडीपी से पूछा- क्या है स्टैंड?
केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। मध्य प्रदेश के भोपाल में ईद-उल-फितर के मौके पर लोगों ने इस बिल के विरोध में काली पट्टी बांधकर ईद की नमाज अदा की। विपक्ष ने भी इस विधेयक पर आपत्ति जताई है। इस बीच, कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने वक्फ संशोधन विधेयक पर बयान देते हुए पूछा- इस मामले पर जेडीयू-टीडीपी का क्या रुख है?
#WATCH | Delhi | On Waqf Amendment Bill, Congress MP Jairam Ramesh says, "Waqf (Amendment) Bill is a direct attack on the constitution and against its foundation... Every opposition party opposes it, but the question is what is the take of 'secular' parties JD(U) and TDP?... It… pic.twitter.com/i3JQtBDUQu
— ANI (@ANI) March 31, 2025
#WATCH | Delhi | On Waqf Amendment Bill, Congress MP Jairam Ramesh says, "Waqf (Amendment) Bill is a direct attack on the constitution and against its foundation... Every opposition party opposes it, but the question is what is the take of 'secular' parties JD(U) and TDP?... It… pic.twitter.com/i3JQtBDUQu
— ANI (@ANI) March 31, 2025
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक संविधान पर सीधा हमला है और इसकी बुनियाद के खिलाफ है। हर विपक्षी दल इसका विरोध कर रहा है, लेकिन सवाल यह है कि 'धर्मनिरपेक्ष' पार्टियां जेडी(यू) और टीडीपी क्या कहती हैं? यह पहली बार था कि समिति में प्रत्येक खंड पर चर्चा नहीं हुई। यदि वे इसे लागू करेंगे तो हम लोकतांत्रिक तरीके से इसका विरोध करेंगे।
जेडीयू-टीडीपी क्या करेगी? : जयराम रमेश
उन्होंने कहा कि कांग्रेस वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ है। कांग्रेस ही नहीं, बल्कि टीएमसी, सपा, आप समेत सभी पार्टियां इस बिल का विरोध कर रही हैं। जेडीयू-टीडीपी, जो खुद को धर्मनिरपेक्ष पार्टी कहती है और संविधान का सम्मान करने की बात कहती है, क्या करेगी? जब विधेयक जेपीसी के पास जाता है तो हर संशोधन पर चर्चा होती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
सुधारों पर कोई चर्चा नहीं हुई: कांग्रेस नेता
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि उन्होंने भी कई जेपीसी की अध्यक्षता की है, लेकिन वे हर संशोधन पर चर्चा करते थे और आम सहमति बनने के बाद ही विधेयक को आगे भेजा जाता था। इस बार सांसदों को दो दिन में 450 पृष्ठों की रिपोर्ट पढ़ने को कहा गया। 44 संशोधनों पर भी कोई चर्चा नहीं हुई। यह सदन के विरुद्ध है।