क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन-जीजा मनरेगा मजदूर? लगा घोटाले का आरोप
भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी की बहन और उनके पति, शमी के बहनोई, जो एमबीबीएस कर रहे हैं, को उत्तर प्रदेश के अमरोहा में 'काम के अधिकार' की गारंटी देने वाली मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) कल्याण योजना के तहत मजदूरी मिली है। दस्तावेजों से पता चलता है कि शमी की बहन शबीना इस योजना के तहत मजदूर के रूप में पंजीकृत रहीं और उन्हें 2021 से 2024 तक इस योजना के तहत पैसा मिला। हालांकि, शमी या उनके परिवार के सदस्यों की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
उत्तर प्रदेश के अमरोहा में डिडौली थाने के पलौला गांव में रहने वाली भारतीय क्रिकेटर तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी की बड़ी बहन की सास पलौला की ग्राम प्रधान भी हैं। आलीशान मकानों में रहने वाले शमी की भाभी करोड़पति होने के बाद भी रिकॉर्ड के मुताबिक उन्होंने वर्ष 2021 से 2024 तक करीब 300 दिन की मजदूरी ऑनलाइन दर्ज कराई है। इसके बदले में उनके खाते में करीब 66 हजार रुपये भी आए। जिन लोगों को वेतन मिला है वे या तो इंजीनियर हैं या ठेकेदार हैं। शमी के भतीजे, जो एमबीबीएस छात्र हैं, को भी पेपर वर्कर के रूप में काम पर लगाया गया है।
आपको बता दें, मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब और जरूरतमंद लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना है। मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को उनके गांव में ही रोजगार दिया जाता है। ताकि उन्हें अपने परिवार के पालन पोषण में मदद मिल सके।
अमरोहा के जोया ब्लाक के गांव पलौला में गांव के लोगों ने अधिकारियों के सामने मनरेगा योजना में बड़े फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ किया है। इसमें करोड़पति लोग मनरेगा मजदूरी ले रहे हैं। क्रिकेटर मोहम्मद शमी की भाभी भी मनरेगा मजदूर बनकर सरकारी पैसा कमा रही हैं। आलीशान घर में रहने वाली मोहम्मद शमी की बहन को भी सरकारी पैसा मिला है। आने वाले दिनों में ग्राम प्रधानी का चुनाव है, जिसको लेकर अब प्रधानों के काले कारनामों की कहानियां सामने आने लगी हैं।
अमरोहा की जिलाधिकारी निधि गुप्ता ने कहा है कि क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन और बहनोई द्वारा मनरेगा योजना में मजदूरी का पैसा लेने के मामले की जांच डीसी मनरेगा से कराई जाएगी, इस मामले में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हम ब्लॉक स्तर से लेकर कंप्यूटर ऑपरेटर तक हर स्तर पर उनसे वसूली भी करेंगे और सख्त कार्रवाई भी करेंगे। जांच के बाद ही कार्रवाई की जाएगी।
धोखाधड़ी का विवरण
नेहा का नाम जॉब कार्ड सूची में 576वें नंबर पर है। वह गांव की मुखिया गुले आयशा की बेटी हैं। वर्ष 2019 में शादी होने के बाद वह अपने पति के साथ गांव से करीब 7 किलोमीटर दूर जोया कस्बे में रह रही हैं। उनके पास मनरेगा मजदूरी कार्ड भी है। वर्ष 2022 से 2024 तक इसके खाते में काफी पैसा भी आ चुका है। 563वें नंबर पर शाहजर का नाम है जो प्रधान पति शकील का सगा भाई है। गांव से कई किलोमीटर दूर अमरोहा में इसकी कृषि संबंधी दुकान है। इसके बावजूद, रिकॉर्ड में वह मनरेगा मजदूर हैं। मनरेगा जॉब कार्ड सूची में जुल्फिकार का नाम 482वें नंबर पर है, जो ठेकेदार है। गांव में उसका दो मंजिला मकान है। ठेकेदार जुल्फिकार के बेटे अजीम को भी मनरेगा मजदूर दिखाया गया है, जबकि वह एक फैक्ट्री में इंजीनियर है।