क्रिकेट न्यूज़ डेस्क। क्रिकेट को वैसे तो जेंटलमैन गेम माना जाता है, लेकिन यह फिक्सिंग के लिए बदनाम रहा है।भारत के कई खिलाड़ियों के नाम फिक्सिंग में अब तक आ चुके हैं।सबसे पहले साल 1999- 2000 में फिक्सिंग का मामला सामने आया था तब टीम इंडिया का कप्तान फंसा था और पूरी दुनिया में भारतीय क्रिकेट की बदनामी हुई थी।बता दें कि साल 2000 में दिल्ली पुलिस ने तत्कालीन दक्षिण अफ्रीकी कप्तान हेंसी क्रॉन्ये और एक बुकी के बीच हुई फोन पर बातचीत को ट्रेस किया।
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इस फोन टेप से यह पता चला कि क्रॉन्ये ने मैच हारने के लिए बुकी से पैसे लिए थे।इसके बाद जांच शुरु हुई और इसमें पाकिस्तान के सलीम मलिक, भारत के मोहम्मद अजहरुद्दीन, अजय जडेजा और दक्षिण अफ्रीका के हर्शल गिब्स और निकी बोए के नाम आए थे।
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इन खिलाड़ियों की लिप्तत को देखते हुए, इन पर तुरंत एक्शन लिया गया था।आईसीसी ने तब तुरंत कार्रवाई करते हुए कॉन्वे को सभी प्रकार के क्रिकेट से बैन कर दिया था। वहीं सलीम मलिक, अजहरुद्दीन और जडेजा पर 4-4 साल का प्रतिबंध लगा था।
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कॉन्ये का बयान ही फिक्सिंग कांड में पुलिस के लिए मजबूत कड़ी बना था।लेकिन 2002 में दुर्भाग्यवश क्रॉन्ये का एक प्लेन क्रैश में निधन हो गया था। क्रॉन्ये ने ही गिब्स और बोए के नाम पुलिस को बताए थे।इसके बाद कई बार क्रिकेट में फिक्सिंग के मामले आए हैं। पाकिस्तान के कई खिलाड़ी फिक्सिंग में फंसे हैं।आईपीएल 2013 में तेज गेंदबाज श्रीसंत स्पॉट फिक्सिंग मामले में फंसे थे।आज भी फिक्सिंग के काले बादल क्रिकेट पर मंडराए हुए रहते हैं।

