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बृहस्पतिवार को व्रत और पूजा के दौरान न करें ये गलतियां, वरना नहीं बरसेगी नारायण की कृपा 

धार्मिक मान्यता के अनुसार, गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित है। इस दिन लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। शास्त्रों में गुरुवार के व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। गुरुवार के व्रत और पूजा-पाठ से कष्टों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। लेकिन गुरुवार के दिन कुछ नियमों का पालन करना भी जरूरी होता है, तभी व्रत और पूजा का फल प्राप्त होता है।

गुरुवार के व्रत और पूजा के नियम
अगर आप पहली बार गुरुवार का व्रत शुरू करना चाहते हैं तो पौष माह में कभी भी गुरुवार का व्रत शुरू न करें। इसे बहुत अशुभ माना जाता है। गुरुवार के व्रत की शुरुआत पुष्य नक्षत्र के दिन से करनी चाहिए। साथ ही पौष को छोड़कर किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से व्रत शुरू किया जा सकता है।गुरुवार के दिन केले से भगवान की पूजा करना, केले का दान करना और उन्हें प्रसाद के रूप में ग्रहण करना अच्छा होता है। लेकिन गुरुवार का व्रत रखने वालों को खुद केले नहीं खाने चाहिए।

16 सोमवार की तरह ही 16 गुरुवार व्रत का दिन होता है। अगर आपने गुरुवार का व्रत रखा है तो आपको कम से कम 16 गुरुवार व्रत जरूर रखने चाहिए। आप अपने संकल्प के अनुसार व्रत भी रख सकते हैं। गुरुवार को पूजा में केवल शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इससे बृहस्पति देव और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। गुरुवार को उड़द की दाल, मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन न करें। भगवान बृहस्पति और भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए गुरुवार को केले, पीली दाल, गुड़, पीले कपड़े, मिठाई आदि का दान करना चाहिए। साथ ही इन शास्त्रों में गुरुवार को नाखून काटना, बाल कटवाना, शेविंग करना, कपड़े धोना, पोछा लगाना और महिलाओं के बाल धोने जैसे काम वर्जित हैं।

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