Breaking News: जल्द ही भारत के दौरे पर आएंगे व्लादिमीर पुतिन, रूसी मंत्री ने की तैयारियों की पुष्टि
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जल्द ही भारत का दौरा करेंगे, जिसकी तैयारियां जोरों पर हैं। इस बात की पुष्टि रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने की है। रूसी समाचार एजेंसी TASS से बातचीत में लावरोव ने कहा कि पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है और उनकी यात्रा की तैयारियां जारी हैं।
भारत-रूस संबंधों में नया अध्याय
लावरोव ने घोषणा की, "राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारतीय सरकार के प्रमुख से मिलने के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है। वर्तमान में रूस के राष्ट्राध्यक्ष की भारत यात्रा की तैयारियां की जा रही हैं।" यह दौरा दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए हो रहा है। भारत और रूस के बीच रक्षा, व्यापार और ऊर्जा के क्षेत्रों में लंबे समय से सहयोग रहा है। यह यात्रा इन संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का काम करेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद रूस की अपनी पहली यात्रा की थी, जिसे दोनों देशों के बीच संबंधों के महत्व का प्रतीक माना गया था। अब रूस की बारी है, और इस यात्रा के दौरान कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।
Визит Путина в Индию находится на стадии подготовки, заявил Лавров на конференции Российского совета по международным делам "Россия и Индия: к новой повестке двусторонних отношений":https://t.co/jBQSF6zonM pic.twitter.com/iN2FlRATPp
— ТАСС (@tass_agency) March 27, 2025
द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती
भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ संबंध रहे हैं। रक्षा क्षेत्र में भारत ने रूस से कई महत्वपूर्ण हथियार प्रणालियों का अधिग्रहण किया है, जिनमें एस-400 मिसाइल सिस्टम और सुखोई लड़ाकू विमान शामिल हैं। इसके अलावा, दोनों देश संयुक्त सैन्य अभ्यास और तकनीकी सहयोग भी करते रहे हैं। ऊर्जा के क्षेत्र में भी भारत और रूस के बीच मजबूत सहयोग है। भारत, रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है, जिससे भारत को सस्ती ऊर्जा मिल रही है और रूस को अपने तेल निर्यात के लिए एक स्थिर बाजार। व्यापारिक संबंधों की बात करें तो दोनों देश स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करने की संभावनाओं को भी तलाश रहे हैं, जिससे डॉलर पर निर्भरता कम होगी। भारत और रूस के बीच कुल व्यापार में लगातार वृद्धि देखी गई है, और इस यात्रा के दौरान इसे और विस्तार देने पर चर्चा होगी।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में मोदी-पुतिन की मुलाकात
रूस और पश्चिमी देशों के बीच चल रहे तनाव के बावजूद, भारत ने रूस के साथ अपने संबंधों को संतुलित रखा है। जहां अमेरिका और यूरोप ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं, वहीं भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रखी है। यह कदम भारत के राष्ट्रीय हितों के अनुरूप है, क्योंकि इससे देश में ऊर्जा की कीमतें नियंत्रण में रहती हैं। मोदी और पुतिन के व्यक्तिगत संबंध भी इस रणनीतिक साझेदारी को मजबूती देते हैं। दोनों नेताओं के बीच नियमित संवाद होता रहा है और वे वैश्विक मुद्दों पर एक-दूसरे के विचारों का सम्मान करते हैं। पुतिन की इस यात्रा के दौरान, दोनों नेता क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और बहुपक्षीय संगठनों में सहयोग को लेकर चर्चा करेंगे। भारत-रूस की यह साझेदारी विश्व राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, खासकर जब वैश्विक व्यवस्था में नए समीकरण बन रहे हैं।
यूक्रेन युद्ध और भारत की स्थिति
यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत ने एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है। भारत ने न तो रूस की खुले तौर पर आलोचना की है और न ही पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का समर्थन किया है। इसके बजाय, भारत ने शांति और कूटनीतिक समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया है। पुतिन की यात्रा के दौरान, इस मुद्दे पर भी चर्चा होने की संभावना है। भारत अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए शांति वार्ता को आगे बढ़ाने पर जोर दे सकता है। साथ ही, दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और बढ़ाने की संभावनाओं पर भी बातचीत हो सकती है।
ब्रिक्स और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सहयोग
भारत और रूस ब्रिक्स (BRICS) समूह के महत्वपूर्ण सदस्य हैं। ब्रिक्स देशों का उद्देश्य वैश्विक वित्तीय और व्यापारिक व्यवस्था में संतुलन बनाना है। भारत ने ब्रिक्स के माध्यम से वैश्विक आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। पुतिन की यात्रा के दौरान, ब्रिक्स के भीतर सहयोग को और मजबूत करने पर चर्चा होगी। खासतौर पर, डिजिटल करेंसी, व्यापार में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग और आर्थिक स्थिरता जैसे मुद्दों पर बातचीत हो सकती है।
संभावित समझौते और घोषणाएं
पुतिन की भारत यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। इनमें रक्षा उत्पादन, अंतरिक्ष सहयोग, डिजिटल अर्थव्यवस्था और शिक्षा के क्षेत्र में भागीदारी को लेकर समझौते शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, रूस भारत में अपनी ऊर्जा निवेश को बढ़ाने पर जोर देगा। भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में रूसी सहयोग पहले से ही जारी है, और इस यात्रा के दौरान नए परियोजनाओं पर चर्चा की जा सकती है।
व्लादिमीर पुतिन की आगामी भारत यात्रा दोनों देशों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह न केवल द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण संकेत देगी। भारत और रूस के बीच लंबे समय से चले आ रहे मजबूत संबंधों को देखते हुए, यह यात्रा दोनों देशों के लिए आर्थिक, सामरिक और राजनयिक दृष्टि से बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है। हालांकि, इस यात्रा की सटीक तिथियों की आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि यह भारत-रूस संबंधों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।