हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा में उठाया बाखासर बंदरगाह बनाने का मुद्दा, देखें वीडियो
राजस्थान के सीमावर्ती जिले बाड़मेर के बाखासर क्षेत्र में बंदरगाह निर्माण की वर्षों पुरानी मांग को एक बार फिर राष्ट्रीय मंच पर उठाया गया है। नागौर से लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल ने संसद में इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाते हुए बाखासर को रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान करार दिया।
लोकसभा में बेनीवाल की मांग
लोकसभा में बोलते हुए हनुमान बेनीवाल ने कहा कि बाखासर क्षेत्र में बंदरगाह की आवश्यकता न केवल राजस्थान के विकास के लिए जरूरी है, बल्कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा, व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने इस क्षेत्र में पूर्व में करवाए गए सर्वेक्षण का हवाला देते हुए बताया कि यदि यहां बंदरगाह बनता है, तो लगभग 150 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण आवश्यक होगा, जिससे समुद्री जल को अंदर तक लाकर जहाजों की आवाजाही संभव हो सकेगी।
रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से फायदेमंद
बाखासर की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए, यह क्षेत्र भारत-पाक सीमा के पास स्थित है। यदि यहां बंदरगाह बनता है, तो यह राजस्थान के लिए पहला समुद्री संपर्क मार्ग बन सकता है, जिससे थार के मरुस्थलीय इलाके में आर्थिक गतिविधियों का विस्तार संभव होगा। साथ ही, इससे गुजरात और महाराष्ट्र जैसे तटीय राज्यों पर निर्भरता भी कुछ हद तक कम हो सकती है।
विधानसभा में भी उठ चुका है मुद्दा
यह मुद्दा पहले भी राजस्थान विधानसभा में कई बार उठाया जा चुका है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और क्षेत्रीय संगठनों की ओर से लंबे समय से बाखासर में बंदरगाह निर्माण की मांग की जा रही है। अब जब यह मांग लोकसभा तक पहुंच चुकी है, तो इसे लेकर स्थानीय लोगों में नई उम्मीद जगी है।
नहर निर्माण होगा चुनौतीपूर्ण
बंदरगाह निर्माण के लिए प्रस्तावित 150 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण निश्चित रूप से एक तकनीकी और आर्थिक चुनौती होगा। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस परियोजना को केंद्र और राज्य सरकार मिलकर पूरा करने का संकल्प लें, तो यह क्षेत्र एक बड़े समुद्री और व्यापारिक केंद्र में तब्दील हो सकता है।
केंद्र सरकार से अपेक्षा
हनुमान बेनीवाल ने केंद्र सरकार से इस परियोजना को राष्ट्रीय महत्व की योजना मानते हुए इस पर त्वरित कार्यवाही की मांग की है। उन्होंने कहा कि राजस्थान जैसे भू-आवेष्ट राज्य को समुद्री संपर्क से जोड़ना एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी और इससे सीमा क्षेत्र के विकास को नया आयाम मिलेगा।