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70 साल पहले हुई थी हनुमान जी के इस मंदिर की खोज, आज बन गया जयपुर की शोभा

जयपुर के अरावली पर्वतों की गोद में बसा खोले के हनुमान जी मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह इतिहास और संस्कृति का अनमोल हिस्सा भी है। माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 19वीं सदी में हुई थी, जब एक तपस्वी संत ने यहां भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित की। इसके बाद जयपुर रियासत के सहयोग से इस स्थान का विस्तार हुआ।

मंदिर का नाम 'खोले' इसलिए पड़ा क्योंकि यह एक प्राकृतिक घाटी या ‘खोल’ में स्थित है। यह स्थान पहले निर्जन था, लेकिन आज यह हनुमान भक्तों का एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन चुका है।

धार्मिक दृष्टि से यह मंदिर अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। लोगों का विश्वास है कि यहां की गई प्रार्थनाएं जल्दी फलदायक होती हैं। विशेषकर मंगलवार और शनिवार को भक्त बड़ी संख्या में यहां दर्शन करने आते हैं।

पूजा विधि भी विशेष होती है। प्रातः मंगला आरती से शुरू होकर दिन भर हनुमान चालीसा का पाठ, सिंदूर चढ़ाना और चमेली के तेल से अभिषेक होता है। यहां की विशेषता है बाल हनुमान की विशाल प्रतिमा, जो भक्तों को शांति और बल प्रदान करती है।

मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से यहां पूजा करता है, उसके जीवन की सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं। खासतौर पर नौकरी, विवाह और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों में यह मंदिर विशेष लाभकारी माना जाता है।

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