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कांग्रेस की छोटी सोच ने देश को पीछे धकेल दिया : महिपाल ढांडा

रोहतक, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा शुक्रवार को एक दिवसीय दौरे पर रोहतक पहुंचे, जहां उन्होंने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और विभिन्न मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी। मीडिया से बातचीत के दौरान मंत्री ढांडा ने कांग्रेस पार्टी, वक्फ बोर्ड विवाद, इनेलो संगठन में हो रहे बदलाव और निजी स्कूलों की मनमानी पर तल्ख टिप्पणी की।
कांग्रेस की छोटी सोच ने देश को पीछे धकेल दिया : महिपाल ढांडा

रोहतक, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा शुक्रवार को एक दिवसीय दौरे पर रोहतक पहुंचे, जहां उन्होंने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और विभिन्न मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी। मीडिया से बातचीत के दौरान मंत्री ढांडा ने कांग्रेस पार्टी, वक्फ बोर्ड विवाद, इनेलो संगठन में हो रहे बदलाव और निजी स्कूलों की मनमानी पर तल्ख टिप्पणी की।

कांग्रेस के अधिवेशन पर चुटकी लेते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि कांग्रेस की छोटी राजनीतिक सोच ने देश को पीछे धकेल दिया। कांग्रेस नेताओं ने देश का कभी भला नहीं किया, केवल अपनी जेबें भरी हैं। कांग्रेस के नेता केवल खुद तक सीमित सोचते हैं, देशहित की चिंता नहीं करते। पहले केवल चहेतों को नौकरी दी जाती थी, लेकिन 2014 के बाद जब से भाजपा सत्ता में आई है, नौकरियां काबिलियत के आधार पर दी जा रही हैं। यह ऊंची सोच और देशभक्ति का परिणाम है।

वक्फ बोर्ड को लेकर राहुल गांधी के हालिया बयान पर शिक्षा मंत्री ने पलटवार करते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड पर पहले ही कानून बन जाना चाहिए था। कुछ लोग जनसंख्या में कम होने के बावजूद बड़ी मात्रा में जमीन पर कब्जा किए बैठे हैं और उसे हड़पना चाहते हैं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मजबूत सोच और नेतृत्व के कारण देश आगे बढ़ रहा है।

इनेलो में हो रहे संगठनात्मक बदलाव पर भी मंत्री ने कहा कि अब जनता जागरूक हो चुकी है। जो नेता लोगों को बहकाकर राजनीति करते थे, अब उनका समय गया। प्रदेश की जनता जान चुकी है कि बीजेपी ही उनके भविष्य को सुरक्षित रख सकती है। इसी सोच का नतीजा है कि प्रदेश में ट्रिपल इंजन की सरकार बनी है।

मंत्री ढांडा ने निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली और महंगी किताबें तथा वर्दियां बेचने के मुद्दे पर भी सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि कोई भी स्कूल अभिभावकों पर दबाव नहीं बना सकता कि वह तय दुकान से ही किताबें या ड्रेस खरीदें। अभिभावक अपनी मर्जी से जहां सस्ती वर्दी या किताबें मिले, वहां से खरीद सकते हैं। अगर कोई स्कूल ऐसा करता पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

--आईएएनएस

पीएसके/सीबीटी

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