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जानिए मंदिर में जाने से पहले क्यों बजाई जाती है घंटी, वजह जानकर रह जाएंगे दंग

भारत में हर मंदिर में घंटी का होना एक आम बात है, जिसे अक्सर पूजा या अर्चना के दौरान बजाया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मंदिर में घंटी क्यों बजाई जाती है और इसका धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व क्या है? आइए जानते हैं मंदिर में घंटी लगाने के पीछे छिपी कुछ महत्वपूर्ण बातें और मान्यताएं।

धार्मिक मान्यता: देवी-देवताओं की जागृति के लिए घंटी बजाना

मंदिर में घंटी बजाने की सबसे प्रमुख धार्मिक मान्यता यह है कि घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है। ऐसा माना जाता है कि जब भक्त घंटी बजाता है, तो वह एक प्रकार की ध्यान की अवस्था में होता है और उस समय उसकी आवाज देवताओं तक पहुंचती है, जिससे पूजा का प्रभाव और भी अधिक फलदायक हो जाता है।

पुराणों के अनुसार, जब सृष्टि की रचना हुई थी, तब एक खास नाद (आवाज) गूंजा था, जो पूरे ब्रह्मांड में फैल गया। यही नाद घंटी की आवाज में भी सुनाई देता है, और इसी कारण से मंदिर में प्रवेश करने से पहले घंटी बजाई जाती है। इसका उद्देश्य यह होता है कि भक्त के द्वारा की गई पूजा में देवता जागृत हो जाएं और भक्त को पुण्य की प्राप्ति हो।

पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति

कुछ मान्यताओं के अनुसार, घंटी बजाने से इंसान के कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। जब कोई भक्त मंदिर में घंटी बजाता है, तो उसे अपने पापों से मुक्ति मिलती है और उसके पुण्य में वृद्धि होती है। इस प्रक्रिया के माध्यम से भक्त अपने मन और आत्मा को शुद्ध करता है, जिससे उसकी पूजा को और अधिक फलदायक और सफल माना जाता है।

घंटी और काल का प्रतीक

एक और दिलचस्प बात यह है कि मंदिर की घंटी को 'काल' का प्रतीक भी माना जाता है। संत महात्माओं के अनुसार, ऐसा विश्वास है कि जब धरती पर प्रलय का समय आएगा, तब भी घंटी की तरह ही एक विशेष नाद (आवाज) सुनाई देगी, जो इस समय के बदलाव को संकेत करेगा। इस संदर्भ में घंटी का बजना एक चेतावनी का प्रतीक माना जाता है, जो भक्तों को समय की गंभीरता और धर्म की पालन की याद दिलाता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण: वातावरण की शुद्धि

मंदिर में घंटी बजाने के पीछे धार्मिक मान्यताओं के अलावा एक वैज्ञानिक कारण भी है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो, जब घंटी बजती है, तो वह वातावरण में कंपन उत्पन्न करती है। यह कंपन वायुमंडल में फैलता है और बहुत दूर तक जाता है। इस कंपन के कारण वातावरण में मौजूद सभी प्रकार के बैक्टीरिया, वायरस और सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं, जिससे मंदिर और उसके आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है।

यह भी माना जाता है कि जब घंटी बजाई जाती है, तो आसपास का वातावरण पवित्र और शुद्ध रहता है, जो मानसिक शांति और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।

नकारात्मक शक्तियों का नाश

मंदिर में घंटी बजाने का एक और लाभ यह माना जाता है कि यह नकारात्मक शक्तियों को नष्ट कर देती है। जब घंटी की आवाज वातावरण में फैलती है, तो यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। यह विश्वास है कि इस प्रक्रिया के दौरान नकारात्मक शक्तियां समाप्त हो जाती हैं और भक्त की जिंदगी में सुख, समृद्धि और शांति के द्वार खुलते हैं।

निष्कर्ष

मंदिर में घंटी बजाना केवल एक परंपरा या अनुष्ठान नहीं है, बल्कि इसके पीछे धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक कारण भी छिपे हुए हैं। जहां एक ओर धार्मिक दृष्टिकोण से यह देवी-देवताओं की पूजा में सफलता और पापों से मुक्ति का एक साधन माना जाता है, वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाने का एक तरीका है। घंटी बजाने से न केवल मानसिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि यह नकारात्मक शक्तियों को भी नष्ट करती है। इस प्रकार, मंदिर में घंटी बजाना एक महत्वपूर्ण और पवित्र अनुष्ठान है, जिसका महत्व हर व्यक्ति को समझना चाहिए।

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