Samachar Nama
×

 परिवार के साथ करें उस जगह की सैर जहां भगवान श्रीकृष्ण ने किया था विश्रााम

जब भारत की धार्मिक सुंदरता की बात आती है तो चार धाम यात्रा का जिक्र जरूर किया जाता है। हर दिन हजारों भक्त चार धाम की यात्रा पर अपने-अपने भगवान के पास पहुंचते हैं।आप उत्तराखंड में स्थित पवित्र तीर्थस्थल के बारे में तो जानते ही होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में भी एक पवित्र शाम होती है? जी हां, अलीगढ़ में मौजूद है खेरेश्वर धाम.इस आर्टिकल में हम आपको खेरेश्वर धाम से जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में बताने जा रहे हैं। इन कहानियों को जानने के बाद यकीनन आप एक बार यहां जरूर जाना चाहेंगे।

खेरेश्वर धाम से जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में जानने से पहले आइए जानते हैं कि अलीगढ़ में कहां मौजूद है खेरेश्वर धाम। दरअसल, यह पवित्र स्थान अलीगढ़ के ताजपुर-रसूलपुर में खैर रोड पर स्थित खेरेश्वर मंदिर में स्थित है। यह इस शहर का प्रमुख मंदिर भी है। आपको यह भी बता दें कि मंदिर के सामने से ही यमुना एक्सप्रेस के लिए रास्ता है।

खेरेश्वर धाम का इतिहास बहुत ही रोचक है। जी हां, इस पवित्र धाम या मंदिर का इतिहास द्वापर काल से जुड़ा हुआ बताया जाता है। कहा जाता है कि उस समय यह एक टीला हुआ करता था और यहीं पर भगवान कृष्ण ने अपने बड़े भाई दाऊजी के साथ विश्राम किया था।खेरेश्वर धाम की पौराणिक कथा बहुत ही रोचक है। मान्यता के अनुसार द्वापर काल में अलीगढ पर कोलासुर नमक शासक का अत्याचार बहुत बढ़ गया था। वह साधु-संतों पर अत्याचार करता था।

खेरेश्वर धाम की पौराणिक कथा इतनी लोकप्रिय है कि न केवल स्थानीय लोग बल्कि दूसरे शहरों से भी श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। कहा जाता है कि जो भी सच्चे मन से यहां दर्शन के लिए पहुंचता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।खेरेश्वर धाम में स्थापित शिवलिंग का दर्शन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। खासकर सावन और महाशिवरात्रि के दौरान यहां हजारों श्रद्धालु पूजा-अर्चना और गंगा जल चढ़ाने पहुंचते हैं।

vasudev mandir tirth sthal amroha history significance पांडवों के अज्ञातवास  की यादें संजोए है वासुदेव तीर्थस्थल, भगवान श्रीकृष्ण के आने का साक्षी है  कदम का वृक्ष ...

जी हां, खेरेश्वर धाम की पौराणिक कहानी ही नहीं बल्कि यहां लगने वाला मेला भी भक्तों के आकर्षण का केंद्र माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन भगवान बलराम ने कोलासुर का वध किया था उस दिन को विजयोत्सव के रूप में मनाया जाता है। देवछट मेला हर वर्ष विजयोत्सव के अवसर पर आयोजित किया जाता है। इस मेले को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। कहा जाता है कि इस मेले में कुश्ती और दंगल के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है.

Share this story

Tags