परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद क्या होगी ईरान की जवाबी कार्रवाई ? क्या अमेरिकी एयरबेस बनेंगे पहला निशाना या सीधे इजरायल पर बरसेगा कहर?

अमेरिका की एंट्री से अब इजरायल और ईरान के बीच जंग और तेज हो गई है। अमेरिकी बी2 बमवर्षकों ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर बम गिराए, जिसमें दावा किया जा रहा है कि ये ठिकाने तबाह हो गए हैं। ईरान पर अमेरिका के इस सीधे हमले के बाद तेहरान हाई अलर्ट पर है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि ईरान इस हमले का बदला कैसे लेगा?ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने अमेरिकी हमलों के बाद कहा है कि आज सुबह जो हुआ वह बेहद खतरनाक और आपराधिक है। इसका असर हमेशा रहेगा। दुनिया के हर देश को इस बारे में चिंतित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत हमें आत्मरक्षा का अधिकार है। हम अपने लोगों और देश की संप्रभुता और हितों की रक्षा के लिए हर विकल्प चुनेंगे।
ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों के बाद बड़ी आशंका जताई जा रही है कि तेहरान मध्य पूर्व में अमेरिकी एयरबेस को निशाना बना सकता है। ईरानी सरकार ने पहले ही साफ कर दिया था कि अगर अमेरिका इस युद्ध में शामिल होता है तो मध्य पूर्व में मौजूद अमेरिकी एयरबेस उनका प्राथमिक लक्ष्य हो सकते हैं।मध्य पूर्व में ईरान के आसपास अमेरिका के बड़े एयरबेस हैं। ये एयरबेस 15 साल पुराने हैं। ईरान, इराक, कुवैत, बहरीन, कतर, सऊदी अरब, जॉर्डन, सीरिया, साइप्रस और तुर्की के आसपास अमेरिका के बहुत सारे एयरबेस हैं।
सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे मध्य पूर्व में करीब 40 हजार अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं। ये अमेरिकी सैनिक मध्य पूर्व में अमेरिका के हितों को ध्यान में रखते हुए काम करते हैं। ईरान, इराक और जॉर्डन समेत मध्य पूर्व के कई देशों के आसपास मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर इनकी तैनाती है। इन अमेरिकी एयरबेस में अरबों डॉलर के हथियार और सैन्य उपकरण हैं।
ईरान के प्रॉक्सी सहयोगी हैं जिम्मेदार
यह भी आशंका है कि ईरान अपने प्रॉक्सी सहयोगियों लेबनान में हिजबुल्लाह, यमन में हौथी विद्रोहियों और हमास के जरिए अमेरिका या इजरायल पर हमला कर सकता है। इससे मध्य पूर्व में अस्थिरता और बढ़ेगी।रिपोर्ट के अनुसार, हजारों अमेरिकी सैनिक ईरान और उसके छद्म सहयोगियों द्वारा किए जाने वाले मिसाइलों और ड्रोन हमलों की सीधी चपेट में हैं। इराक की राजधानी बगदाद में 2500 से अधिक अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं। इसके अलावा इराक के उत्तरी कुर्द और पश्चिमी इलाकों में भी अमेरिकी सैनिक तैनात हैं।अमेरिकी नौसेना के पांचवें बेड़े का मुख्यालय बहरीन के मनामा में है। यहां करीब 9 हजार अमेरिकी सैनिक हैं। इसके अलावा ईरान रूस और चीन जैसे अपने सहयोगियों के साथ मिलकर अमेरिका पर कूटनीतिक दबाव बनाने की भी कोशिश कर सकता है।
ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को हथियार बना सकता है
अमेरिकी सैनिकों का काम होर्मुज जलडमरूमध्य के जरिए वाणिज्यिक जहाजों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करना है। दुनिया के करीब 20 फीसदी तेल की आपूर्ति इसी समुद्री रास्ते से होती है।अमेरिकी हमले के बाद ईरान अब होर्मुज जलडमरूमध्य को युद्ध क्षेत्र बना सकता है। इससे वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आएगी। होर्मुज जलडमरूमध्य दरअसल फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है। मध्य पूर्व के कई छोटे-बड़े देश तेल और गैस निर्यात के लिए इस समुद्री मार्ग का इस्तेमाल करते हैं।इससे पहले ईरान समर्थित हूथी विद्रोहियों ने भी अमेरिका को चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका इस युद्ध में इजरायल का साथ देता है तो लाल सागर में मौजूद उसके सभी जहाजों और युद्धपोतों को निशाना बनाया जाएगा।