बांग्लादेश में हिंदू युवक की पीटकर हत्या, फुटेज में देखें उस्मान हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा
बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के विरोधी नेता उस्मान हादी की मौत के बाद हालात तेजी से बिगड़ गए हैं। देश के कई हिस्सों में हिंसक घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर चिंता पैदा हो गई है। इस बीच ढाका के नजदीक भालुका इलाके में एक बेहद गंभीर और संवेदनशील घटना सामने आई है, जहां धर्म का अपमान करने के आरोप में एक हिंदू युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।
बीबीसी बांग्ला की रिपोर्ट के अनुसार, मृतक की पहचान दीपू चंद्र दास के रूप में हुई है। पुलिस ने बताया कि यह घटना गुरुवार रात भालुका क्षेत्र में हुई। आरोप है कि भीड़ ने युवक पर धर्म के अपमान का आरोप लगाते हुए उसे बुरी तरह पीटा, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद शव के साथ अमानवीय व्यवहार किए जाने की खबरें भी सामने आई हैं, जिसने पूरे देश में आक्रोश और डर का माहौल पैदा कर दिया है।
इस घटना से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग नारे लगाते नजर आ रहे हैं। हालांकि प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों और भड़काऊ वीडियो से दूर रहें और शांति बनाए रखें। पुलिस का कहना है कि वीडियो की सत्यता की जांच की जा रही है और दोषियों की पहचान के प्रयास तेज कर दिए गए हैं।
हिंसा यहीं तक सीमित नहीं रही। उस्मान हादी की मौत के बाद प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार देर रात ढाका में देश के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित अखबारों में शामिल ‘डेली स्टार’ और ‘प्रोथोम आलो’ के कार्यालयों में जबरन घुसकर तोड़फोड़ की और आगजनी की। मीडिया संस्थानों पर हुए इस हमले को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर हमला माना जा रहा है।
इसके अलावा, बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति और राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर्रहमान के आवास में भी तोड़फोड़ की गई। राजधानी और अन्य क्षेत्रों में शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के कार्यालयों को भी निशाना बनाया गया और कई जगह आग लगा दी गई। इन घटनाओं ने देश में राजनीतिक तनाव को और गहरा कर दिया है।
प्रशासन ने हालात पर काबू पाने के लिए सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी है। पुलिस और रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) को संवेदनशील इलाकों में गश्त के आदेश दिए गए हैं। सरकार की ओर से कहा गया है कि हिंसा फैलाने वालों और कानून हाथ में लेने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, चाहे वे किसी भी राजनीतिक या सामाजिक समूह से जुड़े हों।
मानवाधिकार संगठनों और अल्पसंख्यक समुदायों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और निष्पक्ष जांच की मांग की है। विशेषज्ञों का कहना है कि राजनीतिक अस्थिरता और उकसावे की राजनीति के कारण हालात तेजी से नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं। फिलहाल, बांग्लादेश एक बार फिर गंभीर राजनीतिक और सामाजिक संकट के दौर से गुजर रहा है, जहां शांति और सौहार्द बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।

