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चीन से संबंधों को लेकर ट्रंप का बड़ा हमला! इंटेल के CEO लिप-बू टैन से मांगा इस्तीफा, रिपोर्ट में विस्तार से पढ़े क्या है पूरा मामला ?

चीन से संबंधों को लेकर ट्रंप का बड़ा हमला! इंटेल के CEO लिप-बू टैन से मांगा इस्तीफा, रिपोर्ट में विस्तार से पढ़े क्या है पूरा मामला ?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने दुनिया की शीर्ष चिप निर्माता कंपनियों में से एक इंटेल कॉर्पोरेशन के CEO लिप-बू टैन से सीधे तौर पर इस्तीफे की मांग कर दी है। ट्रंप ने आरोप लगाया है कि टैन चीन के साथ कंपनी के बढ़ते रिश्तों को लेकर अमेरिका की सुरक्षा और टेक्नोलॉजी प्रभुत्व के लिए खतरा बनते जा रहे हैं।

चीन से कारोबारी रिश्तों पर उठे सवाल
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक तीखा बयान देते हुए कहा कि इंटेल जैसी अमेरिकी कंपनी का चीन के साथ इतने गहरे व्यावसायिक संबंध होना देश की टेक्नोलॉजिकल संप्रभुता के लिए घातक है। ट्रंप ने लिखा, “लिप-बू टैन को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। वो अमेरिका की जगह चीन के हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं। जब हमारी टेक कंपनियां चीन में निवेश करती हैं और वहां से मुनाफा कमाती हैं, तो यह हमारे खिलाफ एक रणनीतिक आत्मघात है।”ट्रंप के इस बयान ने अमेरिकी राजनीतिक और कारोबारी जगत में नई बहस को जन्म दे दिया है। ट्रंप पहले भी चीन के खिलाफ सख्त रुख अपनाते रहे हैं, लेकिन अब उन्होंने सीधे तौर पर एक वैश्विक तकनीकी कंपनी के CEO पर निशाना साधा है।

कौन हैं लिप-बू टैन?
लिप-बू टैन, एक अनुभवी तकनीकी उद्योग नेता हैं, जो पहले Cadence Design Systems के CEO रह चुके हैं और बाद में इंटेल के बोर्ड में शामिल हुए। टैन वर्तमान में इंटेल के कार्यकारी बोर्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और रणनीतिक निवेशों से जुड़े निर्णयों में उनकी अहम भागीदारी मानी जाती है। हालांकि वह इंटेल के स्थायी CEO नहीं हैं, लेकिन कंपनी में उनका प्रभावशाली स्थान है।

इंटेल का चीन में विस्तार
इंटेल बीते कुछ वर्षों से चीन में अपने कारोबारी प्रभाव को बढ़ा रहा है। कंपनी की कई उत्पादन इकाइयां और अनुसंधान केंद्र चीन में स्थित हैं। इसके अलावा, इंटेल चीन को एक प्रमुख बाजार मानता है और वहां से कंपनी को भारी राजस्व भी प्राप्त होता है। हालांकि अमेरिका सरकार की तरफ से बार-बार चेतावनी के बावजूद, इंटेल जैसी टेक कंपनियां चीन में अपनी उपस्थिति बनाए हुए हैं।ट्रंप की आलोचना इसी मुद्दे को लेकर है। उनका मानना है कि ऐसी कंपनियां चीन को संवेदनशील टेक्नोलॉजी और डेटा के नजदीक ला रही हैं, जिससे अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

अमेरिका में चिप युद्ध और राष्ट्रीय सुरक्षा
पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका और चीन के बीच तकनीकी प्रतिस्पर्धा बहुत तीव्र हो गई है, खासकर सेमीकंडक्टर चिप्स के क्षेत्र में। अमेरिका, चीन को अत्याधुनिक चिप्स और उससे संबंधित तकनीकें उपलब्ध कराने से मना कर चुका है। बाइडेन प्रशासन ने भी ‘CHIPS Act’ जैसे कानूनों के जरिए घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की कोशिश की है। ऐसे में अगर कोई अमेरिकी कंपनी चीन में निवेश या सहयोग करती है, तो यह वॉशिंगटन के लिए चिंता का विषय बन जाता है।ट्रंप ने भी इसी पृष्ठभूमि में लिप-बू टैन के इस्तीफे की मांग की है। उनका कहना है कि जब अमेरिका टेक्नोलॉजी पर अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटा है, तो इंटेल जैसी कंपनियों का चीन की ओर झुकाव “देशद्रोह के समान” है।

इंटेल की प्रतिक्रिया क्या रही?
अब तक इंटेल की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। न तो लिप-बू टैन ने ट्रंप के बयान पर कोई टिप्पणी की है और न ही कंपनी ने चीन से अपने संबंधों पर कोई स्पष्टीकरण दिया है। हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के इस बयान से इंटेल की छवि और उसके कारोबारी रणनीति पर जरूर असर पड़ सकता है।

ट्रंप की रणनीति या राजनीति?
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। 2024 में राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में ट्रंप फिर से रिपब्लिकन पार्टी के सबसे मजबूत उम्मीदवार बनकर उभर रहे हैं। ऐसे में ‘चीन-विरोध’ की उनकी छवि को और मजबूत करने के लिए यह बयान दिया गया हो सकता है।लेकिन ट्रंप के इस कदम ने यह भी साफ कर दिया है कि अमेरिका में तकनीकी कंपनियों की विदेश नीति को लेकर सख्त नजर रखने की मांग बढ़ रही है। आने वाले समय में यह मुद्दा न सिर्फ राजनीतिक बल्कि वैश्विक स्तर पर भी बहस का विषय बन सकता है।

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