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भारत-रूस की रक्षा डील से भड़के ट्रंप! 25% टैरिफ लगाकर जताई नाराज़गी, क्या अब रिश्ते और बिगड़ेंगे?

भारत-रूस की रक्षा डील से भड़के ट्रंप! 25% टैरिफ लगाकर जताई नाराज़गी, क्या अब रिश्ते और बिगड़ेंगे?​​​​​​​

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत और रूस के बीच बढ़ते व्यापार, खासकर तेल और रक्षा सौदों से नाराज़ हैं। उन्होंने रूस के साथ व्यापार करने वाले भारत और चीन जैसे देशों पर भारी टैरिफ लगाने की धमकी दी है। यह टैरिफ भारत के दवा, कपड़ा और आईटी जैसे निर्यातों को प्रभावित कर सकता है। भारत पर 25% टैरिफ भी लगाया गया है।

भारत-रूस रक्षा व्यापार: कितना और क्या?
भारत और रूस के बीच रक्षा संबंध दशकों पुराने हैं। रूस भारत का सबसे बड़ा और सबसे भरोसेमंद हथियार आपूर्तिकर्ता रहा है। भारत 1960 के दशक से रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) से हथियार खरीदता रहा है। आज भी, भारतीय सेना में इस्तेमाल होने वाले हथियारों और उपकरणों का एक बड़ा हिस्सा रूस से आता है। कुछ प्रमुख आंकड़े और सौदे इस प्रकार हैं...

मात्रा और हिस्सेदारी

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, 2019-2023 के बीच भारत के कुल हथियार आयात का 49% रूस से आया।
भारत-रूस रक्षा व्यापार सालाना 2-3 अरब डॉलर (करीब 16,000-24,000 करोड़ रुपये) का है, जो भारत के कुल रक्षा आयात का एक बड़ा हिस्सा है।
2024-25 में, भारत और रूस के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 68.7 अरब डॉलर का था, जिसमें रक्षा के साथ-साथ तेल का भी बड़ा योगदान है।
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बड़े रक्षा सौदे
S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली: 2018 में, भारत ने रूस से 5.43 अरब डॉलर (करीब 43,000 करोड़ रुपये) मूल्य के 5 S-400 सिस्टम खरीदने का सौदा किया था। यह सौदा भारत की वायु रक्षा को मज़बूत करने के लिए है। इसकी डिलीवरी 2021 से शुरू हो गई है।
मिग-29 और सुखोई-30 एमकेआई जेट: भारतीय वायु सेना के पास 260 से ज़्यादा सुखोई-30 एमकेआई जेट हैं, जो रूस से खरीदे गए हैं। इसके अलावा, मिग-29 और मिग-21 जैसे लड़ाकू विमान भी रूस से आए हैं।
टी-90 टैंक: भारतीय सेना के पास 1,000 से ज़्यादा टी-90 टैंक हैं, जो रूस से खरीदे गए हैं। इनकी कीमत अरबों रुपये में है।
नौसेना के लिए हथियार: रूस ने भारत को किलो-क्लास पनडुब्बी, तलवार-क्लास फ्रिगेट और ब्रह्मोस मिसाइलें (रूस के सहयोग से निर्मित) दी हैं।
एके-203 राइफलें: 2019 में, भारत ने रूस से 7.5 लाख एके-203 राइफलें खरीदने का समझौता किया था, जिनमें से 70,000 रूस से आएंगी। बाकी भारत में बनाई जा रही हैं। इनकी कीमत लगभग 1 अरब डॉलर है।

अन्य सहयोग
रूस भारत को हथियारों के पुर्जे, रखरखाव और तकनीक हस्तांतरण प्रदान करता है। भारत और रूस संयुक्त रूप से ब्रह्मोस मिसाइल का विकास और निर्यात कर रहे हैं, जिसे अब फिलीपींस जैसे देश खरीद रहे हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध और तेल व्यापार: 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद, पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगा दिए। इसके बावजूद, भारत और चीन रूस से सस्ता तेल खरीद रहे हैं। भारत 2024-25 में रूस से 43.2% तेल (2.08 मिलियन बैरल प्रतिदिन) खरीद रहा है, जो उसकी कुल तेल आवश्यकता का एक बड़ा हिस्सा है।
ट्रंप का मानना है कि भारत और चीन द्वारा रूस से तेल खरीदना रूस की युद्ध मशीन चला रहा है। वह चाहते हैं कि रूस यूक्रेन के साथ शांति समझौता करे। इसके लिए, उन्होंने रूस के व्यापारिक साझेदारों पर 500% टैरिफ लगाने की धमकी दी है।

रक्षा व्यापार पर गुस्सा
अमेरिका को भारत द्वारा रूस से S-400 प्रणाली खरीदना पसंद नहीं आया। 2017 में, अमेरिका ने CAATSA (प्रतिबंधों के माध्यम से अमेरिका के विरोधियों का मुकाबला करने का अधिनियम) कानून बनाया, जो रूस, ईरान और उत्तर कोरिया से हथियार खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाता है। भारत के S-400 सौदे के बाद, अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी, लेकिन तब भारत को छूट मिल गई थी।

टैरिफ का खतरा

ट्रंप ने सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा पेश किए गए एक विधेयक का समर्थन किया है। यह विधेयक रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों (जैसे भारत और चीन) के सामानों पर 500% टैरिफ लगाएगा। इसका मतलब है कि अगर भारत अमेरिका को दवाइयाँ, कपड़े या आईटी सेवाएँ बेचता है, तो उन पर 5 गुना ज़्यादा कर लगेगा। यह विधेयक अगस्त 2025 में अमेरिकी सीनेट में पेश किया जा सकता है। इसे 84 सीनेटरों का समर्थन प्राप्त है।

भारत-रूस रक्षा व्यापार क्यों महत्वपूर्ण है?
सस्ते और विश्वसनीय हथियार: रूस भारत को सस्ते दामों पर हथियार उपलब्ध कराता है, जो अमेरिका या यूरोप की तुलना में ज़्यादा किफ़ायती हैं।
पुराना रिश्ता: भारत की सेना रूसी हथियारों पर निर्भर है। सुखोई जेट, टी-90 टैंक और के-9 तोपें रूसी तकनीक से चलती हैं। इनके स्पेयर पार्ट्स और रखरखाव रूस से आते हैं।
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: रूस भारत को ब्रह्मोस मिसाइल और एके-203 राइफल जैसी तकनीक उपलब्ध कराता है, जिनका निर्माण भारत में हो रहा है।
भू-राजनीतिक संतुलन: रूस के साथ संबंध बनाए रखकर भारत अमेरिका और चीन के बीच संतुलन बनाए रखता है। यह भारत की रणनीति का हिस्सा है।

भारत पर टैरिफ का प्रभाव
निर्यात पर प्रभाव: भारत अमेरिका को 83 अरब डॉलर (2024-25) मूल्य की वस्तुएँ बेचता है, जैसे दवाइयाँ, कपड़े और आईटी सेवाएँ। टैरिफ लगने से ये वस्तुएँ अमेरिका में बहुत महंगी हो जाएँगी, जिससे भारत का निर्यात कम हो जाएगा।
मुद्रास्फीति: भारत को रूस से सस्ता तेल मिलता है। अगर यह रुक गया, तो भारत को महंगा तेल खरीदना पड़ेगा, जिससे पेट्रोल-डीज़ल और अन्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाएँगी।
रक्षा सौदों पर संकट: रूस से हथियार खरीदना मुश्किल हो सकता है। अमेरिका से हथियार खरीदना महंगा होगा।
राजनयिक दबाव: टैरिफ से बचने के लिए भारत को अमेरिका के साथ कूटनीति बढ़ानी होगी। भारत पहले से ही अमेरिका से तेल और गैस की खरीदारी बढ़ा रहा है।

भारत की रणनीति
कूटनीति: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत सीनेटर ग्राहम से बात कर अपने हितों को समझा रहा है।
वैकल्पिक स्रोत: भारत अमेरिका, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका से तेल खरीद बढ़ा रहा है। जून 2025 तक अमेरिका से तेल आयात 4.39 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुँच जाएगा।
रक्षा विविधीकरण: भारत अब फ्रांस, इज़राइल और अमेरिका से भी हथियार खरीद रहा है। उदाहरण के लिए, राफेल जेट और प्रीडेटर ड्रोन अमेरिका और फ्रांस से आए हैं।

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