चीन की इस मिसाइल ने राफेल, F-35, सुखोई को याद दिलाई औकात! ब्रह्मोस भी इसके सामने कुछ नहीं, जाने ऐसा क्या है खास
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरी दुनिया ने ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम की ताकत देखी। यह अपने आप में एक अद्भुत मिसाइल सिस्टम है। पाकिस्तान अभी तक इसके कहर से उबर नहीं पाया है। लेकिन, हमें यह समझना होगा कि दुनिया सिर्फ़ ब्रह्मोस तक सीमित नहीं है। यह अच्छी बात है कि हमारे पास ब्रह्मोस जैसा मिसाइल सिस्टम है। यह पूरी दुनिया की ही नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे बेहतरीन मिसाइल सिस्टम में से एक है। इसीलिए आज हम एक ऐसे मिसाइल सिस्टम के बारे में बात कर रहे हैं जिसके सामने ब्रह्मोस एक बच्चा है। जिस सिस्टम की हम बात कर रहे हैं, वह पूरी दुनिया में हथियारों और सैन्य संतुलन को बुरी तरह बिगाड़ सकता है।
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं अपने पड़ोसी देश चीन की। वहाँ के वैज्ञानिकों ने एक बेहद खतरनाक मिसाइल बनाई है। अगर इसके बारे में किए जा रहे दावों को सच माना जाए, तो यह निश्चित रूप से एक ऐसी मिसाइल प्रणाली है जो दुनिया की सूरत बदल देगी। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने इस बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) मिसाइल का परीक्षण किया है। इस मिसाइल की मारक क्षमता 1000 किलोमीटर है। यह एक हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है।
6000 किलोमीटर की रफ्तार वाली मिसाइल
अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें कौन सी बड़ी बात है। कई देशों के पास BVR मिसाइल सिस्टम है। इस मिसाइल की स्पीड 5 मैक है। यानी इसकी स्पीड लगभग 6112 किलोमीटर प्रति घंटा है। इस मिसाइल सिस्टम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह दुनिया के सबसे आधुनिक लड़ाकू विमानों जैसे F-35, F-22 रैप्टर, B-21 रेडर को 1000 किलोमीटर की दूरी से मार गिराने की क्षमता रखता है। यानी यह पांचवीं पीढ़ी या 5+ पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को 1000 किलोमीटर दूर से ही नष्ट कर सकता है। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि राफेल, सुखोई जैसे चौथी या 4.5 पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के खिलाफ यह कितना कारगर होगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन इस हथियार को ताइवान जलडमरूमध्य और दक्षिण चीन सागर जैसे संभावित संघर्ष वाले क्षेत्रों में तैनात करने की योजना बना रहा है। इसे वर्तमान में दुनिया के सबसे उन्नत हथियारों में से एक माना जाता है।
यह मिसाइल इतनी महत्वपूर्ण क्यों है
BVR तकनीक कोई नई तकनीक नहीं है। लेकिन, इस तकनीक पर आधारित इतनी लंबी दूरी की मिसाइल प्रणाली बनाना दुनिया के वैज्ञानिकों और सैन्य इंजीनियरों के लिए अभी भी एक बड़ी चुनौती है। जहाँ तक इस तकनीक पर आधारित मिसाइल प्रणालियों का सवाल है, रूस और अमेरिका के पास ऐसी मिसाइलें हैं। भारत ने भी ऐसी मिसाइल विकसित की है। रूस के पास R-37M और अमेरिका के पास AIM-174B BVR मिसाइल प्रणाली है। इन मिसाइलों की मारक क्षमता केवल 350 से 400 किलोमीटर है।
जहाँ तक भारत का सवाल है, हम अस्त्र MK-3 BVR प्रणाली बना रहे हैं। हमारी योजना इसकी मारक क्षमता को 350 से 400 किलोमीटर तक बढ़ाने की है। अगर चीन द्वारा इस BVR मिसाइल के बारे में किए गए दावे सही हैं, तो यह पूरी दुनिया की तस्वीर बदलने वाला है। यह पूरे क्षेत्र में शक्ति संतुलन को बिगाड़ सकता है।
कितनी खतरनाक है यह मिसाइल प्रणाली
जहाँ तक इस मिसाइल प्रणाली की क्षमता का सवाल है, यह वर्तमान समय की सबसे उन्नत रक्षा प्रणाली, पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को पूरी तरह से बेकार कर देगी। यह AWACS और AEW&C विमानों की उपयोगिता को भी समाप्त कर देगी। इस मिसाइल प्रणाली से इन सभी प्रणालियों को दुश्मन पर हमला करने से पहले ही मार गिराया जा सकता है।
भारत के लिए कितना ख़तरा
चीन द्वारा विकसित इस प्रणाली से भारत, जापान, ताइवान और अमेरिका सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं। इन देशों की पूरी वायु रक्षा रणनीति और लड़ाकू हवाई गश्ती रेंज बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। ऐसे में भारत के सामने अपनी बीवीआर मिसाइल क्षमता बढ़ाने की एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। भारत ने इस तकनीक पर आधारित अस्त्र एमके-1 और एमके-2 मिसाइलें बनाने में सफलता हासिल कर ली है। लेकिन, हाइपरसोनिक गति वाली एमके-3 पर अभी भी काम चल रहा है। डीआरडीओ और इसरो इस पर मिलकर काम कर रहे हैं। अस्त्र श्रृंखला की इस मिसाइल प्रणाली पर काम वर्ष 2000 में शुरू हुआ था। लेकिन, इस दिशा में प्रगति बहुत धीमी है। हमारे पास अभी केवल एमके-1 बीवीआर मिसाइल है और इसकी मारक क्षमता केवल 80 से 110 किलोमीटर है। सैन्य विशेषज्ञ इसमें कई खामियाँ बता रहे हैं। हालाँकि, रक्षा मंत्रालय ने 2022 में वायुसेना के लिए लगभग 3000 करोड़ रुपये में इन मिसाइलों की खरीद को मंज़ूरी दे दी है। इन्हें कुछ सुखोई-30 एमकेआई जेट विमानों में लगाया जा चुका है। एके-2 श्रृंखला लगभग पूरी होने के कगार पर है। इसमें कमियों को दूर करने के प्रयास किए गए हैं।

