UN की रिपोर्ट ने खोली आंखें! अल-कायदा और ISIS फिर से बन रहे हैं खतरनाक, दुनिया के लिए बढ़ा खतरा
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि इस्लामिक स्टेट और अल-क़ायदा जैसे आतंकवादी संगठन अफ्रीका के कुछ हिस्सों में बेहद ख़तरनाक और शक्तिशाली हो गए हैं। विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि सीरिया में भी इनका ख़तरा तेज़ी से बढ़ रहा है, जहाँ ये संगठन इसे अपने बाहरी हमलों का अड्डा मानते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम अफ्रीका में अल-क़ायदा और पूर्वी अफ्रीका में अल-शबाब से जुड़े जमात नस्र अल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन (जेएनआईएम) ने अपने कब्ज़े वाले इलाकों में और इज़ाफ़ा किया है।
आतंकवादी संगठनों ने अफ्रीका का रुख़ क्यों किया?
विशेषज्ञों का कहना है कि मध्य पूर्व में इस्लामिक स्टेट और अन्य आतंकवादी संगठनों को आतंकवाद-रोधी अभियानों के कारण भारी नुकसान हुआ, जिसके बाद इन संगठनों ने अफ्रीका का रुख़ किया। पश्चिम अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में, जेएनआईएम ने उत्तरी माली और बुर्किना फ़ासो के ज़्यादातर हिस्सों में अपनी पकड़ मज़बूत कर ली है। इस संगठन ने ड्रोन, बम और बड़ी संख्या में लड़ाकों के साथ जटिल हमले करने की क्षमता हासिल कर ली है। दूसरी ओर, ग्रेटर सहारा में इस्लामिक स्टेट ने नाइजर और नाइजीरिया की सीमा पर अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है। पूर्वी अफ्रीका में, अल-शबाब ने दक्षिणी और मध्य सोमालिया में अपने हमले तेज़ कर दिए हैं।
विशेषज्ञों को सीरियाई राष्ट्रपति के वादे पर भरोसा नहीं
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि अल-शबाब के यमन के हूती विद्रोहियों से संपर्क हैं, जिनसे उन्हें हथियार और प्रशिक्षण मिलता है। इसमें कहा गया है कि सीरिया में स्थिति बेहद नाज़ुक है। पिछले साल दिसंबर में राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता से हटाए जाने के बाद से वहाँ आतंकवादी गतिविधियाँ बढ़ गई हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, दमिश्क पर कब्ज़ा करने की लड़ाई में 5000 से ज़्यादा विदेशी आतंकवादी लड़ाके शामिल थे। सीरिया के नए अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा, जो अल-क़ायदा से जुड़े हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के प्रमुख थे, ने वादा किया है कि देश में जल्द ही निष्पक्ष चुनाव होंगे, लेकिन विशेषज्ञ इसे लेकर संशय में हैं।
खुरासान समूह ने लोगों को कट्टरपंथी प्रशिक्षण दिया है
विशेषज्ञों ने कहा है कि सीरियाई सेना में कई वरिष्ठ पदों पर विदेशी और स्थानीय नेता आसीन हैं, जिनमें से कुछ की महत्वाकांक्षाएँ सीरिया की सीमाओं को पार कर सकती हैं। उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि इस्लामिक स्टेट यूरोप और अमेरिका के लिए भी एक बड़ा खतरा बना हुआ है। खास तौर पर, इसका अफ़गानिस्तान स्थित खुरासान समूह सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग के ज़रिए लोगों को कट्टरपंथी बना रहा है। हाल ही में अमेरिका में कई आतंकवादी साज़िशें पकड़ी गई हैं, जिनमें से कुछ गाजा-इज़राइल संघर्ष से प्रेरित थीं। 2016 के बाद से अमेरिका में हुए सबसे घातक आतंकवादी हमले में, इस साल जनवरी में न्यू ऑरलियन्स में एक व्यक्ति ने आईएस के समर्थन में जुटी भीड़ पर कार चढ़ा दी, जिसमें 14 लोग मारे गए।
इस्लामिक स्टेट की आर्थिक स्थिति खराब हुई है
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सीरिया में एचटीएस के सत्ता में आने के बाद से इस्लामिक स्टेट की आर्थिक स्थिति कमज़ोर हुई है। इसके लड़ाकों का वेतन 50-70 डॉलर प्रति माह और परिवारों को दी जाने वाली राशि 35 डॉलर प्रति माह कर दी गई है। इससे पहले लड़ाकों और उनके परिवारों को इतना कम पैसा कभी नहीं मिला था। यह पैसा भी समय पर नहीं दिया जा रहा है, जिससे संगठन की आर्थिक तंगी का अंदाज़ा होता है। आपको बता दें कि आतंकवादी संगठन स्थानीय संसाधनों का दोहन, कर वसूली, फिरौती के लिए अपहरण और व्यापार का इस्तेमाल करके पैसा जुटाते हैं। इस्लामिक स्टेट अब महिला कूरियर और हवाला प्रणाली का इस्तेमाल कर रहा है, जहाँ पैसा क्लाउड में जमा किया जाता है ताकि पकड़ा न जाए।
आने वाले दिनों में आतंकवादी हमलों में वृद्धि हो सकती है
आतंकवादी पैसे के लिए 'सेफ ड्रॉप बॉक्स' का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, जहाँ पैसा एक्सचेंज ऑफिस में जमा किया जाता है और पासवर्ड या कोड से निकाला जाता है। विशेषज्ञों ने मध्य एशिया और अफ़ग़ानिस्तान में विदेशी आतंकवादी लड़ाकों की वापसी पर भी चिंता जताई है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में दुनिया के इन हिस्सों में आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि होने की संभावना है। संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के बढ़ते खतरे पर विस्तार से बात की गई है और दुनिया भर के देशों से सतर्क रहने की अपील की गई है।

