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'ऐसे हमले बिना पैसे और...' पहलगाम आतंकी हमले पर FATF ने उठाए गंभीर सवाल, बढ़ सकती है पाक की मुश्किलें 

'ऐसे हमले बिना पैसे और...' पहलगाम आतंकी हमले पर FATF ने उठाए गंभीर सवाल, बढ़ सकती है पाक की मुश्किलें 

संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद निरोधी संस्था एफएटीएफ ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की है। एफएटीएफ ने कहा कि ये हमले बिना पैसे और आतंकी समर्थकों के बीच पैसे के लेन-देन के नहीं हो सकते थे। 22 अप्रैल को कश्मीर की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद भारत ने 6 मई की देर रात ऑपरेशन सिंदूर के तहत सैन्य कार्रवाई की और पाकिस्तान और उसके अवैध कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष छिड़ गया जिसमें भारत ने कई पाकिस्तानी ठिकानों पर सटीक हमले किए और फिर 10 मई को दोनों देश संघर्ष रोकने पर राजी हो गए।

'ऐसे आतंकी हमले सिर्फ बंदूकों और गोला-बारूद से नहीं किए जाते'

एफएटीएफ ने कहा कि ऐसे आतंकी हमले सिर्फ बंदूकों और गोला-बारूद से नहीं किए जाते बल्कि इनके पीछे एक गहरा और संगठित वित्तीय नेटवर्क होता है जो पैसे के दम पर आतंकवाद को जिंदा रखता है। एफएटीएफ ने आतंकी फंडिंग से निपटने के लिए रूपरेखा तैयार करने और विभिन्न देशों द्वारा उस उपाय को अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि जब तक यह पैसा आतंकवाद पर खर्च होता रहेगा, तब तक आतंक का चेहरा बदलता रहेगा। पिछले कई वर्षों से एफएटीएफ दुनिया भर के 200 से अधिक देशों को आतंकवाद की फंडिंग से निपटने के लिए दिशा-निर्देश दे रहा है, जिसमें बैंकिंग सिस्टम की निगरानी, ​​सोशल मीडिया, क्राउड फंडिंग या क्रिप्टो जैसी नई तकनीकों के दुरुपयोग से संबंधित चेतावनी शामिल है।

ब्रिक्स संसदीय मंच में पहलगाम हमले की भी निंदा

हाल ही में ब्रिक्स संसदीय मंच में पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की गई। इसके अलावा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में जीरो टॉलरेंस और वैश्विक एकता की जरूरत पर सहमति बनी। ब्रासीलिया में आयोजित 11वें ब्रिक्स संसदीय मंच में भारत समेत सभी 10 सदस्य देशों की संसदों की भागीदारी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता रही। इस वर्ष के आयोजन में भारत, ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र, इथियोपिया और इंडोनेशिया के प्रतिनिधिमंडल शामिल हुए। इन संसदों के प्रतिनिधियों ने चर्चाओं में सक्रिय रूप से भाग लिया और संयुक्त घोषणा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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