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दिल्ली से श्रीनगर तक की राजनीति में आया उबाल! क्या J&K को वापस मिलेगा राज्य का दर्जा ? जाने क्या है सरकार का प्लान 

दिल्ली से श्रीनगर तक की राजनीति में आया उबाल! क्या J&K को वापस मिलेगा राज्य का दर्जा ? जाने क्या है सरकार का प्लान 

5 अगस्त 2019 को भारत को अनुच्छेद 370 से आज़ादी मिली, 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास हुआ। इसके बाद से हर साल 5 अगस्त पर सबकी नज़रें टिकने लगीं। सब सोचने लगे कि प्रधानमंत्री 5 अगस्त को क्या करेंगे? आज 5 अगस्त है, तो सवाल उठ रहे हैं कि क्या सरकार आज कोई बड़ा फैसला ले सकती है? अगर हाँ, तो कौन सा? अगर नहीं, तो स्वतंत्रता दिवस के बाद तक चलने वाले मानसून सत्र में कौन सा बड़ा फैसला हो सकता है?

क्या 6 साल बाद इतिहास दोहराया जाने वाला है? क्या मोदी-शाह जम्मू-कश्मीर को लेकर फिर कोई बड़ा कदम उठाने वाले हैं? क्या दिल्ली में बैठकों की गहमागहमी से कोई बड़ी खबर आने वाली है? दरअसल, 5 अगस्त 2019 वो तारीख है जब मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 से आज़ादी देने का फैसला लिया था और अब 5 अगस्त 2025 को क्या मोदी सरकार संसद में फिर कोई बड़ा फैसला ले सकती है? क्या होने वाला है? क्या कुछ बड़ा होने वाला है? क्या पुराने इतिहास की तरह अगस्त के महीने में भी कुछ बड़ा घटित होगा? इन सारे सवालों की वजह दो मुलाक़ातें हैं? मुलाक़ातें जो देखने में तो सामान्य लगती हैं, लेकिन समय ऐसा है कि दिल्ली से लेकर पूरे देश में चर्चा शुरू हो गई है कि क्या कुछ होने वाला है, जिसके लिए पहले प्रधानमंत्री राष्ट्रपति से मिलते हैं और फिर थोड़ी देर बाद गृह मंत्री भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने पहुँच जाते हैं।

रविवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति से मिलने पहुँचे, तो कहीं कोई चर्चा नहीं हुई, क्योंकि ब्रिटेन और मालदीव की हालिया यात्रा के बाद पीएम मोदी की राष्ट्रपति से यह पहली मुलाक़ात थी, लेकिन पीएम मोदी की राष्ट्रपति से मुलाक़ात के 4 घंटे के अंदर ही गृह मंत्री अमित शाह राष्ट्रपति भवन पहुँच गए और फिर चर्चा शुरू हो गई कि आख़िर ऐसा क्या है कि 4 घंटे के अंदर ही प्रधानमंत्री और गृह मंत्री राष्ट्रपति से जाकर बात कर रहे हैं।

इन दोनों मुलाक़ातों को सामान्य नहीं माना जा रहा है। वजह साफ़ है, आमतौर पर जब प्रधानमंत्री और गृह मंत्री राष्ट्रपति से मिलते हैं, तो या तो वो औपचारिक मुलाक़ात होती है या फिर किसी ख़ास मौक़े पर साथ जाते हैं। इन दोनों नेताओं की एक ही दिन और कुछ घंटों के अंतर पर राष्ट्रपति से मुलाक़ात सस्पेंस को बढ़ावा देती है, अब सवाल यह है कि सस्पेंस क्या है?

संसद भवन में उच्च स्तरीय बैठक

इस बीच, सोमवार को संसद भवन में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन और इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक तपन डेका ने अमित शाह से मुलाक़ात की। बताया जा रहा है कि इस बैठक में आंतरिक सुरक्षा मामलों का आकलन किया गया।

क्या कुछ बड़ा होने वाला है?

इस बैठक से उपजे सस्पेंस के बीच, यह कयास लगाए जा रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर को लेकर कुछ बड़ा होने वाला है। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री समय आने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की बात करते रहे हैं। ऐसे में, यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अब वह समय आ गया है। चर्चा है कि जम्मू-कश्मीर को जल्द ही पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा सकता है। दरअसल, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री लगातार दोहराते रहे हैं कि समय आने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा। और रविवार को प्रधानमंत्री मोदी की राष्ट्रपति से मुलाक़ात और फिर कुछ ही घंटों बाद अमित शाह की राष्ट्रपति से मुलाक़ात के पीछे यही चर्चा है कि अब जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा सकता है।

उमर अब्दुल्ला के गुजरात दौरे से कनेक्शन

आज क्यों चर्चा हो रही है कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने की उम्मीद है, तो इसका संकेत उमर अब्दुल्ला के 31 जुलाई के गुजरात दौरे से मिलता है। दरअसल, 31 जुलाई को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला गुजरात दौरे पर पहुँचे। गुजरात में भी सीधे स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी पहुँचे। उमर अब्दुल्ला यहाँ तस्वीरें खिंचवाते नज़र आए। यहाँ पहुँचकर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मुझे अंदाज़ा नहीं था कि स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी इतनी भव्य होगी। इसे देखते ही आपको इसका महत्व समझ आ जाता है। और सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें हम सब भारत के लौह पुरुष के रूप में जानते हैं, के लिए यह वाकई नए भारत का एक महान प्रतीक है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के गुजरात दौरे के बाद सुगबुगाहट शुरू हो गई है। उमर ने गुजरात के टूर ऑपरेटरों से मुलाकात की और उन्हें जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आमंत्रित किया। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उमर अब्दुल्ला की इस पहल की सराहना की थी। इसके बाद, जम्मू-कश्मीर में विपक्ष ने यह सवाल उठाना शुरू कर दिया कि क्या उमर अब्दुल्ला राज्य के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा लिए जाने वाले फैसले के लिए तैयार हैं?

अमरनाथ यात्रा पर समय से पहले विराम

जम्मू-कश्मीर को जल्द ही पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की संभावना का दूसरा संकेत अमरनाथ यात्रा के समय से पहले समाप्त होने से भी जताया जा रहा है। इस साल अमरनाथ यात्रा तय समय से पहले ही रोक दी गई है, इस बार अमरनाथ यात्रा 9 अगस्त तक चलनी थी, लेकिन खराब मौसम का हवाला देकर इसे 3 अगस्त को ही रोक दिया गया था। 2019 में भी ऐसा ही हुआ था। जब आतंकी घटना की आशंका के चलते अमरनाथ यात्रा को समय से पहले रोक दिया गया था और फिर 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को खत्म करने का ऐतिहासिक कदम उठाया गया था। जम्मू-कश्मीर को जल्द ही पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की संभावना का तीसरा संकेत गृह मंत्री अमित शाह की जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ बैठक में मिला है।

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