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पाकिस्तान में मिला इतना बड़ा खजाना, अमेरिका के भी होश उड़ गए, एक झटके में बना दुनिया में सबसे 'पावरफुल' 

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से हाल ही में हुई मुलाकात ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। किसी देश के सेना प्रमुख और अमेरिका के राष्ट्रपति के बीच सीधी मुलाकात को आमतौर पर असामान्य माना...
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पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से हाल ही में हुई मुलाकात ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। किसी देश के सेना प्रमुख और अमेरिका के राष्ट्रपति के बीच सीधी मुलाकात को आमतौर पर असामान्य माना जाता है, लेकिन पाकिस्तान के राजनीतिक ढांचे को देखते हुए यह उतना आश्चर्यजनक नहीं था। वहां सेना का प्रभाव सरकार से कहीं ज्यादा माना जाता है। हालांकि अमेरिकी पक्ष की ओर से इस मुलाकात की आधिकारिक पुष्टि या ब्योरा सामने नहीं आया है, लेकिन इससे चीन में चिंता की लहर दौड़ गई है। बीजिंग को डर है कि पाकिस्तान अपने दुर्लभ खनिजों तक अमेरिका की पहुंच बना सकता है। अगर ऐसा होता है तो इससे चीन के वैश्विक आधिपत्य को खतरा हो सकता है, क्योंकि यह क्षेत्र फिलहाल चीन के प्रभाव में है।

अमेरिका की बढ़ती दिलचस्पी कुछ समय पहले रावलपिंडी में पाकिस्तान और अमेरिका के बीच एक उच्चस्तरीय बैठक भी हुई थी, जिसमें अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तान के खनिज संसाधनों को 'पारस्परिक लाभ का क्षेत्र' बताया था। उन्होंने पाकिस्तान में निवेश के माहौल की सराहना की और जनरल मुनीर के समक्ष सहयोग की इच्छा जताई थी। सुरक्षा, आतंकवाद निरोध और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दों के साथ-साथ खनिज विकास भी चर्चा का हिस्सा रहा। हालांकि, दुर्लभ पृथ्वी खनिजों पर कोई स्पष्ट डील या समझौता सामने नहीं आया है। दुर्लभ पृथ्वी खनिज: भविष्य की दौड़

दुर्लभ पृथ्वी खनिज यानी दुर्लभ खनिज वे तत्व हैं जो धरती पर कम मात्रा में पाए जाते हैं, लेकिन तकनीक और रक्षा संबंधी उत्पादों में इनकी मांग बहुत अधिक है। स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन, सोलर पैनल, विंड टर्बाइन और आधुनिक हथियारों में इनका इस्तेमाल जरूरी है। इन खनिजों का खनन और शोधन जटिल और महंगा है, जिससे ये रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बन जाते हैं। चीन के साम्राज्य के लिए खतरा? चीन के पास दुनिया के दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के भंडार का लगभग 49% हिस्सा है और अकेले वैश्विक उत्पादन का लगभग 70% हिस्सा चीन का है। साथ ही, इन खनिजों का 90% शोधन चीन में होता है। चीन ने हाल ही में सात दुर्लभ पृथ्वी तत्वों और उनके चुम्बकों पर सख्त निर्यात नियम लागू किए हैं, जिससे अमेरिका और अन्य देश चौंक गए हैं। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने चीनी सामानों पर भारी टैरिफ लगाया है।

पाकिस्तान की छिपी हुई संपदा हाल ही में आई भूगर्भीय रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा, गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान जैसे इलाकों में दुर्लभ खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाने की संभावना है। मनसेहरा से लेकर अफगान सीमा तक आठ स्थानों की पहचान की गई है, जहां इन तत्वों की मौजूदगी दर्ज की गई है। कुछ क्षेत्रों की मिट्टी में 10 से 1400 मिलीग्राम/किलोग्राम तक खनिज तत्व पाए गए हैं। एक अनुमान के अनुसार, पाकिस्तान के खनिजों का कुल मूल्य 6 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो सकता है, हालांकि वाणिज्यिक स्तर पर खनन की संभावना अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। और किन देशों के पास है भंडार? दुर्लभ खनिजों के भंडार के मामले में चीन के बाद वियतनाम (220 लाख मीट्रिक टन), ब्राजील (210 लाख मीट्रिक टन) और भारत (69 लाख मीट्रिक टन) का स्थान है। भारत में ये खनिज केरल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

अमेरिका के पास भी करीब 19 लाख मीट्रिक टन का भंडार है और वह घरेलू उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। खनिज मुद्दा रणनीतिक मोड़ पर अब यह स्पष्ट हो गया है कि दुर्लभ खनिज अब केवल खनन या उद्योग का विषय नहीं रह गए हैं, बल्कि वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था और तकनीकी शक्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। अगर पाकिस्तान इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहता है, तो उसे तकनीकी और वित्तीय सहयोग की आवश्यकता होगी, जिसमें अमेरिका एक संभावित भागीदार हो सकता है। वहीं, चीन अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। अब समय आ गया है कि भारत और अन्य देश इन महत्वपूर्ण खनिजों पर आत्मनिर्भरता बढ़ाने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों से बचने के लिए अपनी रणनीतियों को मजबूत करें।

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