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सिंधु जल संधि पर फिर से विचार करें', प्यास से गला सूखा तो भारत के सामने गिड़गिड़ाया पाकिस्तान, भारत ने दिया मुंहतोड़ जवाब

पाकिस्तान ने एक बार फिर अपने पुराने एजेंडे पर चलते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच पर भारत के खिलाफ जहर उगला है। कश्मीर पर गुस्सा भड़काने के साथ ही इस बार उसने सिंधु जल समझौते पर भी रोष जताया है। पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश...
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पाकिस्तान ने एक बार फिर अपने पुराने एजेंडे पर चलते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच पर भारत के खिलाफ जहर उगला है। कश्मीर पर गुस्सा भड़काने के साथ ही इस बार उसने सिंधु जल समझौते पर भी रोष जताया है। पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने यहां जम्मू-कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त 'विवादित क्षेत्र' बताया और सिंधु जल संधि को निलंबित करने के भारत के फैसले को 'दुर्भाग्यपूर्ण' और 'अवैध' करार दिया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उच्चस्तरीय बहस में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने पाकिस्तान के आरोपों का करारा जवाब दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उच्चस्तरीय बहस में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने पाकिस्तान के आरोपों का करारा जवाब दिया और आतंकवाद के मुद्दे पर उसे खरी-खोटी सुनाई।

इसाक डार ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस से मुलाकात के दौरान भी यह मुद्दा उठाया और भारत पर संधि का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस फैसले का पाकिस्तान की 24 करोड़ आबादी पर सीधा असर पड़ेगा, जो अपनी आजीविका और जीवन के लिए इसी जल पर निर्भर हैं। डार ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की।

इशाक डार ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे में सबसे पुराने विवादों में से एक है। इसका समाधान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की इच्छा के अनुसार ही होना चाहिए। कोई भी दिखावटी कदम कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के उस मूल और वैध अधिकार का विकल्प नहीं हो सकता।'

सिंधु समझौते पर क्या बोले डार?

सिंधु जल संधि पर हस्तक्षेप की अपील करते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच यह समझौता वर्षों से जल विवाद का शांतिपूर्ण समाधान रहा है, लेकिन अब भारत ने निराधार तर्कों के आधार पर इस संधि को निलंबित कर दिया है, जो न केवल संधि का उल्लंघन है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी खतरा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत के इस कदम ने पाकिस्तान के लिए स्थिति को और गंभीर बना दिया है।

गौरतलब है कि पाकिस्तान वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा है और इस अवसर का उपयोग अपने पुराने विवादों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठाने के लिए कर रहा है। इस बीच, डार ने 'विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बहुपक्षवाद' पर एक प्रस्ताव पेश किया, जिसे सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया। इस प्रस्ताव में सदस्य देशों से बातचीत, मध्यस्थता, न्यायिक समाधान और अन्य शांतिपूर्ण तरीकों का प्रभावी उपयोग करने का आग्रह किया गया है।

बैठक के दौरान, डार ने गाजा संकट पर भी बात की और इज़राइल की कार्रवाई को "निर्दोषों का नरसंहार" बताया। उन्होंने तत्काल, बिना शर्त और स्थायी युद्धविराम की माँग की।

भारत ने क्या जवाब दिया?

भारत के पर्वतनेनी हरीश ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के इन आरोपों का जवाब दिया है। अपने संबोधन में उन्होंने आतंकवाद पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना पड़ोसी देशों द्वारा प्रायोजित आतंकवाद पर निशाना साधा और कहा कि इस तरह की हरकतें बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "किसी भी रूप में आतंकवाद, चाहे वह सीमा पार हो या घरेलू, मानवता के विरुद्ध अपराध है और इसे पूरी ताकत से कुचला जाना चाहिए।"

भारतीय प्रतिनिधि ने यहाँ दोहराया कि जम्मू-कश्मीर देश का अभिन्न अंग है और इसकी संप्रभुता पर सवाल उठाने का कोई भी प्रयास अस्वीकार्य है। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सिंधु जल संधि अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता का विषय नहीं है।

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