पाकिस्तान में अब कुछ भी सुरक्षित नहीं...भारत की अग्नि-v और बंकर बस्टर की ताकत सुन, शहबाज-मुनीर कटकटा रहे अपने दांत
इस साल 7 से 10 मई तक भारत और पाकिस्तान के बीच भीषण सैन्य संघर्ष देखने को मिला। इस दौरान भारत द्वारा दागी गई मिसाइलों के आगे पाकिस्तान बेबस नजर आया। ऐसे में, भारत की मिसाइल क्षमता को लेकर पाकिस्तान में डर है। पाकिस्तान में यह डर अब और बढ़ गया है क्योंकि भारत अपनी अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल को उच्च शक्ति वाली पारंपरिक बंकर-बस्टर मिसाइल बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। पाकिस्तानी विशेषज्ञों का कहना है कि अब उनके देश में न तो सेना और न ही कोई भूमिगत अड्डा सुरक्षित रहेगा।
पाकिस्तान के डॉन अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत का रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) अग्नि-5 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) को इस तरह संशोधित कर रहा है कि वह परमाणु पेलोड की बजाय 7,500 किलोग्राम का विशाल पारंपरिक वारहेड ले जा सके। यह वारहेड विस्फोट करने से पहले 80-100 मीटर ज़मीन के अंदर तक जा सकता है। इससे यह गहरे दबे हुए लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम होगा। इन खबरों ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है।
बंकर बस्टर बम की तरह काम करेगा
भूमिगत लक्ष्य को भेदने की क्षमता के कारण अग्नि मिसाइल की शक्ति कई गुना बढ़ जाएगी। ज़मीन में भेदने की इसकी क्षमता अमेरिका के GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) यानी बंकर बस्टर बम के समान है। ये मिसाइलें भारत को लंबी दूरी के मज़बूत ठिकानों पर तेज़ी से और बिना किसी चेतावनी के हमला करने में सक्षम बनाती हैं। भारत का नया अग्नि-5 संस्करण पाकिस्तान और चीन जैसे देशों में ज़मीन के नीचे दबे कमांड सेंटर, मिसाइल साइलो और अन्य महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट कर सकता है। डॉन की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत स्पष्ट रूप से एक पारंपरिक हथियार विकसित कर रहा है जो उसके क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों के परमाणु कमांड बंकरों और मिसाइल भंडारण स्थलों के लिए ख़तरा बन सकता है।
परमाणु सिद्धांत का कोई उल्लंघन नहीं होगा
पाकिस्तान की चिंता यह है कि इस हथियार के इस्तेमाल से भारत के परमाणु हथियारों के 'पहले इस्तेमाल न करने' (NFU) के सिद्धांत का उल्लंघन न हो। पारंपरिक अग्नि-5 बंकर-बस्टर के बारे में यह तर्क दिया जा सकता है कि यह भारत को अपनी परमाणु-मुक्त (NFU) प्रतिज्ञा को तोड़े बिना पाकिस्तानी परमाणु संपत्तियों पर हमला करने की अनुमति देता है। भारत की तुलना में छोटे और भौगोलिक रूप से सीमित शस्त्रागार के साथ, पाकिस्तान ने 'परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल न करने' की नीति नहीं अपनाई है। उसकी परमाणु नीति पहले इस्तेमाल के विकल्प को खुला छोड़ देती है, जो अस्तित्वगत खतरों से जुड़ा है। इसमें भारत द्वारा एक दुर्जेय पारंपरिक हमला भी शामिल है।
चीन और अमेरिका से सीखने की ज़रूरत
पाकिस्तान अपने परमाणु स्थलों की ओर बढ़ रही भारतीय बैलिस्टिक मिसाइलों को कैसे देखेगा, यह एक बड़ा सवाल होगा। अगर पाकिस्तान इसे अस्तित्वगत खतरा मानता है और परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करता है, तो ऐसी प्रतिक्रिया दोनों देशों के लिए आत्मघाती होगी। परमाणु जवाबी कार्रवाई दोनों पक्षों में दहशत पैदा कर सकती है। पाकिस्तानी विशेषज्ञों ने अपनी सरकार को सलाह दी है कि इन खतरों को कम करने के तरीके इतिहास से सीखे जा सकते हैं। पाक विशेषज्ञ का कहना है कि यह खासकर अमेरिका और चीन से सीखना चाहिए। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका ने अपनी सुरक्षा के लिए कैसे एहतियाती कदम उठाए और पिछले कुछ दशकों में चीन ने खुद को कैसे मजबूत किया है।

